दिल्ली नगर निगम में एल्डरमैन नियुक्त करने के मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि अगर हम उपराज्यपाल को निगम में एल्डरमैन नियुक्त करने का अधिकार देते हैं तो इससे दिल्ली नगर निगम में अस्थिरता आ जाएगी जिसे कि सीधा दिल्ली के लोगों ने चुना है। कोर्ट ने पूछा कि आखिर केंद्र सरकार एल्डरमैन नियुक्त करने में इतनी दिलचस्पी क्यों ले रही है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस पादरीवाला की पीठ ने आज अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए ये बात कही। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई की जिसमें एल्डरमैन नियुक्त करने के उपराज्यपाल के अधिकार को चुनौती दी गई है। बता दें कि निगम में 250 चुने हुए सदस्य और 10 मनोनीत सदस्य होते हैं।
आम आदमी पार्टी ने नगर निगम चुनाव में 134 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया था। बेंच ने मामले पर सुनवाई के दौरान कहा, “12 लोगों की नियुक्ति में केंद्र की इतनी दिलचस्पी क्यों है? ” दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अभी तक निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति मुख्यमंत्री की एलजी को सलाह पर होती आई है। ऐसे में एलजी किसी को खुद से मनोनीत नहीं कर सकते।
इससे पहले भी कोर्ट ने कहा था कि उपराज्यपाल को केजरीवाल सरकार की सलाह के आधार पर ही एल्डरमैन की नियुक्ति करनी चाहिए। विदित हो कि पिछले गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि दिल्ली सरकार को कानून व्यवस्था, जमीन और पुलिस के अलावा हर मामले में विधायी और प्रशासनिक अधिकार हैं।