Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट में सरकारी वकीलों की नियुक्ति को लेकर एक बड़ा निर्णय लिया गया है। जिसमें सरकारी वकीलों की नियुक्ति अब गुणवत्ता, योग्यता, उपयुक्तता व क्षमता का आंकलन करने के बाद ही की जाएगी। प्रदेश के महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने सरकार की तरफ से कोर्ट को आश्वासन दिया कि प्रधान पीठ व लखनऊ खंडपीठ में सरकारी वकीलों की नियुक्तियां राज्य सरकार, पंजाब व अन्य बनाम बृजेश्वर सिंह चहल व अन्य के केस में कार्यवाही दिए सिद्धांतों के अनुसार करेगी। महाधिवक्ता ने यह आश्वासन सरकार की विशेष अपील की सुनवाई के दौरान दिया है।
अपील में एकलपीठ के 31 मई 2022 के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें कहा गया था कि सरकार व सरकारी संस्थानों में केसों की पैरवी के लिए अच्छे वकीलों की नियुक्ति की जाए। साथ ही सरकार इसे कैबिनेट के सामने प्रस्तुत कर एक प्रभावी नीति बनाएं। सरकार ने कहा कि अवमानना मामले में एकलपीठ द्वारा इस प्रकार का आदेश पारित करना उसके अधिकार से बाहर है।

चीफ जस्टिस राजेश बिंदल तथा जस्टिस जेजे मुनीर की खंडपीठ ने सरकार और वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी की विशेष अपील मंजूर कर ली है। एकल जज के आदेश में दिए गए उस भाग को रद्द कर दिया, जिसमें सरकार के खिलाफ इस प्रकार का आदेश पारित किया गया था।
Allahabad High Court: चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी को कोर्ट से मिली बड़ी राहत, बर्खास्तगी को किया रद्द
Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बर्खास्त किए गए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को बड़ी राहत दी है। न्यायालय ने याची को बहाल करते हुए बकाया सहित नियमित वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने इंटर कॉलेज खालिसपुर, गाजीपुर के कर्मचारी जितेंद्र यादव की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

याचिकार्ता को वर्ष 2008 में नियुक्त किया गया था। नियुक्ति के समय याची ने 2002 में जारी हाईस्कूल मार्कशीट प्रस्तुत की थी। जिसमें उसकी जन्मतिथि 10 जुलाई 1986 दर्ज थी, लेकिन 2009 में जितेंद्र बहादुर सिंह ने शिकायत की, कि जितेंद्र यादव इससे पहले भी 1997 में हाईस्कूल पास कर चुका है। उन अभिलेखों के अनुसार जन्मतिथि 14 जनवरी 1981 है। प्रधानाचार्य ने शिकायत के आधार पर याची को बर्खास्त कर दिया था।

याची ने सेवा समाप्ति आदेश को कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए डीआईओएस को गुणदोष के आधार पर निर्णय लेने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि याची को 7 प्रतिशत ब्याज के साथ बर्खास्तगी अवधि का वेतन भुगतान किया जाए। कोर्ट ने कहा कि 8 सप्ताह में बकाया भुगतान न होने की दशा में याची 12 फीसदी ब्याज के साथ भुगतान पाने का हकदार होगा।
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