आधार की संवैधानिक वैधता पर एक बार फिर मंगलवार (23 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरु हुई। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, आदर्श कुमार सिकरी, डी वाई चंद्रचूड़ और अशोक भूषण की सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ को याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान ने बताया कि निजता के अधिकार को सभी राज्य और गैर राज्य संस्थाओं से सुरक्षित रखा जाना चाहिए।
बहस के दौरान श्याम दीवान ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने हमेशा निजता के मूल अधिकार को संरक्षित किाया है। निजता मानवीय गरिमा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। दीवान ने कहा कि निजता का अधिकार स्वाभाविक अधिकार है।
दीवान ने कहा कि आधार के कानून में यह कहा गया है कि सभी को एक आधार नंबर लेने का अधिकार है इसमें ऐसा कहीं नहीं लगता की इसे अनिवार्य तौर पर बनाना ही है। दीवान ने आगे कहा कि व्यक्ति का बॉयोमीट्रिक डेटा समय के साथ बदलता रहता है। लोगों को सब्सिडी और अन्य लाभ प्रदान करने के लिए वैकल्पिक माध्यम होना चाहिए। श्याम ने आगे कहा है कि लोकतंत्र में लोगों को चुनाव का अधिकार होना चाहिए। शख्स के पास ये विकल्प होना चाहिए कि वह किस से पहचाना जाना चाहता है। यह मशीनरी कुछ और नहीं बल्कि एक सर्विलेंस स्टेट बनाना है।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने इस दौरान सवाल किया कि आधार की अनुपस्थिति में भी आपकी निजी जानकारी निजी संस्थाओं द्वारा हासिल की जा रही है। सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि नेटवर्किंग की इस दुनिया में डाटा का आदान प्रदान जरुरी है लेकिन यह किस हद तक हो यह देखा जाना चाहिए। श्याम दीवान ने कहा कि सभी जगह इसका इस्तेमाल नहीं होना चाहिए क्योंकि हैकिंग का भी खतरा रहता है।
मामले पर बुधवार (24 जनवरी) को भी सुनवाई जारी रहेगी।