जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर केंद्र सरकार को 14 अगस्त को जवाब दाखिल करना है । याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए वेंकटचेल्लइया कमीशन की सिफारिश को लागू किया जाए और देश में दो बच्चों की नीति को लागू किया जाये। यह याचिका भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की थी।
इसी संधर्भ में याचिकाकर्ता ने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा जी को ईमेल के माध्यम से पत्र लिखकर अवगत कराया है कि देश की 50% समस्याओं के मूल कारण ‘जनसंख्या विस्फोट’ है। माननीय प्रधानमंत्री जी ‘जनसंख्या विस्फोट’ पर पहले ही अपनी चिंता व्यक्त कर चुके हैं।
हजारो वर्ष पहले जब जनसँख्या की समस्या इतनी खतरनाक नहीं थी तब भगवान राम ने ‘हम दो-हमारे दो’ नीति लागू की जिसका पालन उनके भाइयों ने भी किया जिससे जनता को सन्देश दे सके।
जनसँख्या विस्फोट भारत के लिए बम विस्फोट से भी अधिक खतरनाक है। जितने लोगों को घर दिया जायेगा उससे पांच गुना ज्यादा बेघर पैदा हो जायेंगे। एक कठोर और प्रभावी जनसँख्या नियंत्रण कानून लागू किये जाने की नितांत आवश्यकता है।
उन्होंने बताया कि राजनीतिक दलों के नेता, सांसद और विधायक ही नहीं बल्कि बुद्धिजीवी, समाजशास्त्री, पर्यावरणविद, लेखक, शिक्षाविद, न्यायविद, विचारक और वरिष्ठ पत्रकार भी इस बात से सहमत हैं कि देश की 50% से ज्यादा समस्याओं का मूल कारण जनसँख्या विस्फोट है। टैक्स देने वाले ‘हम दो-हमारे दो’ नियम का पालन भी करते हैं लेकिन मुफ्त में रोटी कपड़ा मकान लेने वाले जनसँख्या विस्फोट कर रहे हैं।
पत्र में अवगत कराया की कोरोना महामारी के कारण संसद का चलना अभी कठिन है इसलिए आपसे निवेदन है कि जनसंख्या विस्फोट रोकने के लिए तत्काल एक प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण अध्यादेश ले आइये। कानून मजबूत और प्रभावी होना चाहिये और जो व्यक्ति इसका उल्लंघन करे उसका राशन कार्ड, वोटर कार्ड, आधार कार्ड, बैंक खाता, बिजली कनेक्शन और मोबाइल कनेक्शन बंद होना चाहिए। इसके साथ ही कानून तोड़ने वालों पर सरकारी नौकरी करने, चुनाव लड़ने, राजनीतिक पार्टी बनाने और पार्टी पदाधिकारी बनने पर आजीवन प्रतिबंध होना चाहिए। ऐसे लोगों को सरकारी स्कूल और सरकारी हॉस्पिटल सहित अन्य सभी सरकारी सुविधाओं से वंचित करना चाहिये और 10 साल के लिए जेल भेजना चाहिए।
भारत में लगभग 20% अर्थात 25 करोड़ नागरिक बिना आधार के हैं। इसके अलावा लगभग पांच करोड़ बंगलादेशी और रोहिंग्या घुसपैठिये अवैध रूप से भारत में रहते हैं। जिसके कारण हमारे देश की जनसँख्या के मामले में हम चीन से आगे निकल चुके हैं। यदि संसाधनों की बात करें तो हमारा क्षेत्रफल दुनिया का 2 % है, हमारे पास पीने योग्य पानी मात्र 4% है लेकिन जनसँख्या दुनिया की 20% है।
चीन का क्षेत्रफल 95,96,960 वर्ग किमी, अमेरिका का क्षेत्रफल 95,25,067 वर्ग किमी है जबकि भारत का क्षेत्रफल मात्र 32,87,263 वर्ग किमी है अर्थात हमारा क्षेत्रफल चीन और अमेरिका के क्षेत्रफल का लगभग एक तिहाई है लेकिन जनसँख्या वृद्धि की दर चीन से लगभग डेढ़ गुना और अमेरिका से छह गुना से भी ज्यादा है। इस वर्ष नए वर्ष पर अमेरिका में 10,247 बच्चे, चीन में 46,299 बच्चे और भारत में 67,385 बच्चे पैदा हुए थे।
उनके मुताबिक रोटी,कपड़ा, मकान, बेरोजगारी ,प्रदूषण और जुर्म की समस्या का मूल कारण जनसँख्या विस्फोट है।
सड़क , ट्रेन में भीड़ की समस्या, नक्सलवाद और आतंकवाद का मूल कारण जनसँख्या विस्फोट है। इन तथ्यों से स्पष्ट है कि भारत की 50% से अधिक समस्याओं का मूल कारण जनसँख्या विस्फोट है।
अंतराष्ट्रीय रैंकिंग में भारत की दयनीय स्थिति का मुख्य कारण भी जनसँख्या विस्फोट है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स में हम 102वें स्थान पर, साक्षरता दर में 168वें स्थान पर, वर्ल्ड हैपिनेस इंडेक्स में 140वें स्थान पर, ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स में 129वें स्थान पर, सोशल प्रोग्रेस इंडेक्स में 53वें स्थान पर, यूथ डेवलपमेंट इंडेक्स में 134वें स्थान पर, होमलेस इंडेक्स में 8वें स्थान पर, लिंग असमानता इंडेक्स में 76वें स्थान पर, न्यूनतम वेतन में 64वें स्थान पर, रोजगार दर में 42वें स्थान पर, क्वालिटी ऑफ़ लाइफ इंडेक्स में 43वें स्थान पर, फाइनेंसियल डेवलपमेंट इंडेक्स में 51वें स्थान पर, करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में 80वें स्थान पर, रूल ऑफ़ लॉ इंडेक्स में 68वें स्थान पर, एनवायरमेंट परफॉरमेंस इंडेक्स में 177वें स्थान पर तथा जीडीपी पर कैपिटा में 139वें स्थान पर हैं लेकिन जमीन से पानी निकालने के मामले में हम पहले स्थान पर हैं जबकि हमारे पास पीने योग्य पानी दुनिया का मात्र 4% है।
उपाध्याय जी ने बताया कि 1976 में संसद के दोनों सदनों में 42वां संविधान संशोधन विधेयक पास हुआ था और संविधान की सातवीं अनुसूची की तीसरी सूची में “जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन” जोड़ा गया। 42वें संविधान संशोधन द्वारा केंद्र सरकार के साथ ही साथ सभी राज्य सरकारों को भी “जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन” के लिए कानून बनाने का अधिकार दिया गया। 42वा संविधान संशोधन 3.1.1977 को लागू हुआ था लेकिन वोटबैंक राजनीति के कारण 43 साल बाद भी एक कठोर और प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं बनाया गया जबकि देश की 50% से अधिक समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है।
आंकड़ों के अनुसार भारत में 2020 में ढाई करोड़ बच्चे पैदा होंगे और किसी भी देश के लिए हर साल ढाई करोड़ नए रोजगार पैदा करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।
चीन ने ‘हम दो हमारे एक’ नियम को कड़ाई से लागू किया और लगभग 60 करोड़ बच्चों को पैदा होने से रोक दिया इसीलिए वह आत्मनिर्भर ही नहीं बल्कि विश्व महाशक्ति भी बन गया ।
जबकि भारत आज भी मूलभूत समस्याओ से लड़ रहा है इसलिये एक कठोर और प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करना बहुत आवश्यक है।
जनसंख्या विस्फोट रोकने के साथ ही साथ अलगाववाद , आतंकवाद ,माओवाद ,नक्सलवाद तथा रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठ रोकने एवम घूसखोरी कमीशनखोरी मुनाफाखोरी जैसी अन्य समस्याओं पर भी कठोर और प्रभावी कानून बनाना अतिआवश्यक है।
आंकड़े बताते हैं कि वायु, जल, ध्वनि और मृदा प्रदूषण की समस्या कम नहीं हो रही है और इसका मूल कारण जनसंख्या विस्फोट है. जनसँख्या विस्फोट के कारण वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है इससे स्पष्ट है कि एक कठोर और प्रभावी जनसँख्या नियंत्रण कानून के बिना स्वस्थ और आत्मनिर्भर भारत अभियान का सफल होना मुश्किल है।
पत्र में लिखा की महिलाओं पर हिंसा बढ़ती जा रही है और इसका मुख्य कारण जनसँख्या विस्फोट है। बेटी पैदा होने के बाद महिलाओं पर शारीरिक और मानसिक अत्याचार किया जाता है, जबकि बेटी पैदा होगी या बेटा, यह महिला नहीं बल्कि पुरुष पर निर्भर करता है। बेटियों को बराबरी का दर्जा मिले, बेटियों का स्वास्थ्य ठीक रहे, बेटियां सम्मान सहित जिंदगी जीयें तथा बेटियां खूब पढ़ें और आगे बढ़ें, इसके लिए एक कठोर और प्रभावी जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाना बहुत जरूरी है। बेटा-बेटी में गैर-बराबरी बंद हो, उन्हें बराबर सम्मान मिले, बेटियां पढ़ें, बेटियां आगे बढ़ें और बेटियां सुरक्षित भी रहें, इसके लिए एक कठोर और प्रभावी जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाना अतिआवश्यक है।
उन्होंने ये भी बताया कि अटल जी द्वारा बनाये गए 11 सदस्यीय संविधान समीक्षा आयोग (वेंकटचलैया आयोग) ने 2 वर्ष तक देशव्यापी विस्तृत विचार-विमर्श के बाद संविधान में आर्टिकल 47A जोड़ने और जनसँख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था जिसे आजतक लागू नहीं किया गया।
पूर्व प्रधानंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जी द्वारा 20 फरवरी 2000 को बनाया गया संविधान समीक्षा आयोग भारत ही नहीं बल्कि विश्व का सबसे प्रतिष्ठित आयोग है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वेंकटचलैया इसके अध्यक्ष तथा जस्टिस सरकारिया, जस्टिस जीवन रेड्डी और जस्टिस पुन्नैया इसके सदस्य थे। भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल और संविधान विशेषज्ञ केशव परासरन तथा सोली सोराब जी और लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप इसके सदस्य थे। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष संगमा जी इसके सदस्य थे। सांसद सुमित्रा जी भी इस आयोग की सदस्य थी। वरिष्ठ पत्रकार सीआर ईरानी और अमेरिका में भारत के राजदूत रहे वरिष्ट नौकरशाह आबिद हुसैन इसके सदस्य थे। वेंकटचलैया आयोग ने 2 वर्ष तक सभी सम्बंधित पक्षों से विस्तृत विचार-विमर्श के बाद 31 मार्च 2002 को अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपा था। इस आयोग ने मौलिक कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए भी महत्वपूर्ण सुझाव दिया था जिसे आजतक लागू नहीं किया गया। वेंकटचलैया आयोग द्वारा चुनाव सुधार प्रशासनिक सुधार और न्यायिक सुधार के लिए दिए गए सुझाव पर भी आजतक कोई काम नहीं किया गया है।
उपरोक्त तथ्यों से अवगत कराने के लिए जे.पी. नड्डा जी को याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने पत्र के माध्यम से सूचित किया है और कठोर और प्रभावी जनसंख्या नियंत्रण क़ानून बनाने की अपील की है।