World Book Fair Day 6: साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कथाकार संजीव की किताबें अब राजकमल से होंगी प्रकाशित

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प्रेस विज्ञप्ति

विश्व पुस्तक मेला का छठा दिन

● कथाकार संजीव की सभी किताबें अब राजकमल से प्रकाशित होंगी
● जलसाघर में संजीव के नए कहानी संग्रह ‘प्रार्थना’ का लोकार्पण
● सुरेंद्र प्रताप, अनीता गोपेश, राहुल श्रीवास्तव और यतीश कुमार की किताबें हुई लोकार्पित
● कल विश्वनाथ त्रिपाठी के जन्मदिन पर होगा उनकी किताब का लोकार्पण

15 फरवरी 2024 (गुरुवार) नई दिल्ली: वर्ष 2023 के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित लेखक संजीव ने विश्व पुस्तक मेला में राजकमल प्रकाशन समूह के मंच से यह घोषणा की है कि उनकी सभी किताबें अब राजकमल प्रकाशन समूह से प्रकाशित होगी। उन्होंने कहा कि राजकमल प्रकाशन समूह पहले से हमारा प्रकाशक है। मेरे कई उपन्यास इन्होंने प्रकाशित किए हैं। प्रतिनिधि कहानियाँ प्रकाशित की हैं। इनसे पुराना संबंध और वर्षों का विश्वास है। इसी विश्वास के कारण मैंने राजकमल को अपनी सभी पुस्तकों के प्रकाशन के लिए अधिकृत किया है। मुझे उम्मीद है कि मेरे इस निर्णय से मेरे तमाम पाठकों को भी सुविधा होगी कि उन्हें मेरी सभी किताबें एक ही जगह सुलभ हो जाएँगी।

इस अवसर पर राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी ने कहा, “संजीव जी का साहित्य संसार बहुत विस्तृत और बहुआयामी है। इनसे हमारा दशकों पुराना आत्मीय संबंध है। हम उनकी कृतियों का प्रकाशन करते रहे हैं। हमें बेहद खुशी है उन्होंने अपनी सभी पुस्तकों के प्रकाशन का दायित्व हमें सौंपा है। यह राजकमल प्रकाशन के प्रति उनका भरोसा और प्रेम है। किताबें ही एक लेखक के जीवन पूरी संपदा होती है, यह क्षण मेरे लिए बहुत भावुक कर देने वाला है। अपने लेखकों और पाठकों का यह भरोसा और प्रेम ही हमारी शक्ति है। यह हमें और तत्परता से काम करने के लिए प्रेरित करता है। राजकमल प्रकाशन समूह का प्रयास रहेगा कि संजीव जी ने जो ज़िम्मेदारी हमें सौंपी है उस पर हम खरे उतरें।”

इससे पहले, जलसाघर में राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित संजीव के नए कहानी संग्रह ‘प्रार्थना’ का लोकार्पण हुआI इस दौरान मंच पर ममता कालिया, वीरेन्द्र यादव, सैय्यद मुहम्मद इरफ़ान, अब्दुल बिस्मिल्लाह, बलराम, मनोज कुमार पांडेय, धर्मेन्द्र सुशान्त उपस्थित रहे। नए कहानी संग्रह के लोकार्पण पर संजीव ने कहा कि, “जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव आते रहते हैं लेकिन तमाम अंधेरों के बावजूद दुनिया अब भी सुंदर है। इस संग्रह में मैंने यही दिखाने का प्रयास किया है।”

वहीं परिचर्चा के दौरान वरिष्ठ कथाकार ममता कालिया ने कहा “मैंने संजीव के साहित्य को शुरू से पढ़ा है। जिन मुद्दों पर लिखने से लोग बचते हैं ये उन पर लिखने का साहस करते हैं बल्कि उतने ही साहस से हाज़िरजवाबी भी करते हैं।” बलराम ने कहा “संजीव के लेखन का दायरा जितना विस्तृत है उतना आज के किसी अन्य लेखक में नहीं है।” इसी क्रम में रवींद्र ने कहा “संजीव जी एक छोटी सी कहानी के माध्यम से व्यापक सामाजिक ताने-बाने को दिखाने की क्षमता रखते हैं।” इस दौरान अन्य वक्ताओं ने कहा कि भारतीय समाज के कठिन से कठिनतम होते गए जन-जीवन के यथार्थ को बहुत सूक्ष्मता से इन्होंने अपनी कहानियों में उकेरा है। यह न केवल संजीव के अनुभव-संसार की व्यापकता बल्कि इनके ज़िम्मेदारी का भी प्रमाण है जो एक लेखक के रूप में इन्होंने स्वयं के लिए चुना है।”

जलसाघर में आयोजित कार्यक्रम के अन्य सत्रों में गुरुवार को सुरेंद्र प्रताप के उपन्यास ‘मोर्चेबन्दी’; अनीता गोपेश द्वारा संपादित किताब ‘कहानियाँ दूसरे दुनिया की’; राहुल श्रीवास्तव के कहानी संग्रह ‘पुई’ और यतीश कुमार की किताब ‘बोरसी भर आँच’ का लोकार्पण हुआ। वहीं विपिन गर्ग द्वारा सम्पादित मीर तक़ी मीर की ग़ज़लों और रुबाइयों के संग्रह ‘चलो टुक मीर को सुनने’ और डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय की किताब ‘जयशंकर प्रसाद : महानता के आयाम’ पुस्तक पर बातचीत हुई। कार्यक्रम के दौरान पाठकों ने लेखकों से संवाद किया।

‘चलो टुक मीर को सुनने’ पुस्तक पर हुई परिचर्चा

जलसाघर में आयोजित कार्यक्रम के पहले सत्र में विपिन गर्ग द्वारा सम्पादित मीर तक़ी मीर की ग़ज़लों और रुबाइयों के संग्रह ‘चलो टुक मीर को सुनने’ पर बातचीत हुई। इस सत्र में मेहर आलम बतौर संचालक मौजूद रहे। बातचीत के दौरान विपिन गर्ग ने कहा “मीर की शायरी का कमाल ये है कि उन्होंने ऐसे ज़माने में, जब हिंदुस्तानी शायरी पर फ़ारसी का रंग चढ़ा हुआ था और रेख्ते में शे’र कहना कमतर समझा जाता था, आम लोगों की ज़बान में शे’र कहने के ढंग को बुलन्दी पर पहुँचा दिया। उनकी भाषा वही है जो जामा मस्जिद की सीढ़ियों पर बोली जाती है।” बातचीत को आगे बढ़ाते हुए मेहर आलम ने कहा “मज़हब को आज के समय में सियासी तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे लोग मज़हब को नाम पर जुड़ने की बजाय टूटने लगे हैं। धर्म के आधार पर लोग आइडेंटिटी क्राइसिस से गुज़र रहे हैं जबकि भारतीय ग्रंथों का संदेश ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का है।

विपिन गर्ग ने कहा “मीर के यहाॅं हर तरह की चीज़ें मिल जाऍंगी, उनके शेरों में कोई लाग-लपेट नहीं है वो आपस में मुहब्बत के साथ जीने की बात करते हैं। मैं उनकी इसी ज़ुबानी का गिरफ़्तार हूॅं। हमें मजहबी किताबों को छोड़कर मीर जैसे शायरों को पढ़ना शुरू कर देना चाहिए। क्योंकि ये हमें एक दूसरे से नफ़रत नहीं बल्कि मोहब्बत करना सिखाते हैं।” वहीं मेहर आलम ने कहा कि जो भी पूरी दुनिया के इंसानों को एक समझता है उसके लिए यह किताब एक नायाब तोहफा है। इसे पढ़कर आपको दुनिया बड़ी हसीन लगने लगेगी।

सुरेंद्र प्रताप की पुस्तक ‘मोर्चेबंदी’ का लोकार्पण

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में सुरेंद्र प्रताप के उपन्यास ‘मोर्चेबंदी’ का लोकार्पण हुआ। इस सत्र में प्रो. ओमप्रकाश सिंह की विशिष्ट उपस्थिति रही। परिचर्चा के दौरान प्रो. ओमप्रकाश सिंह ने कहा “बनारस के छात्र आंदोलनों के ईद-गिर्द बुने गए इस उपन्यास में नए टेक्स्ट और फॉर्म की तलाश देखने को मिलती है। कथा के विस्तार में बीएचयू, महिला महाविद्यालय, हिंदी विभाग, इंजीनियरिंग कॉलेज आदि देखने को मिलते हैं। इसमें लेखक कई बार भावुक हुआ है तो कहीं पर रोमांटिक भी हुआ हैं। इन सबके बावजूद सिर्फ़ इस उपन्यास के एस्थेटिक पहलू को नहीं बल्कि उस विषय में भी सोचना चाहिए जिन मुद्दों को इस उपन्यास में दिखाने का प्रयास किया गया है।” वहीं लेखक ने अपने उपन्यास के बारे में बोलते हुए कहा “इस उपन्यास के माध्यम से मैंने एक नए भारत को देखने का प्रयास किया है जिसमें छात्रों, युवाओं की बदलती मानसिकता, बदलते तेवर और बदलती समस्याओं को दिखाया गया है। इसके अलावा मैंने शैक्षिक समस्याओं के साथ-साथ एक व्यापक सामाजिक परिर्वतन समझने और दिखाने का प्रयास किया है।”

गोपीकृष्ण गोपेश द्वारा अनूदित पुस्तक ‘कहानियाँ दूसरी दुनिया की’ का लोकार्पण

अगले सत्र में गोपीकृष्ण गोपेश द्वारा अनूदित पुस्तक ‘कहानियाँ दूसरी दुनिया की’ का लोकार्पण हुआ। इस सत्र में ममता कालिया, हरीश त्रिवेदी विभूति नारायण राय, प्रो. देवेंद्र राज अंकुर और अनीता गोपेश की विशिष्ट उपस्थिति रही। परिचर्चा के दौरान पुस्तक की संपादक अनीता गोपेश ने बताया “इस पुस्तक में पिताजी द्वारा रूसी भाषा से सीधे हिंदी भाषा में अनूदित कहानियों का संग्रह शामिल है।” ममता कालिया ने कहा “ये दूसरे दुनिया की नहीं बल्कि अपने दुनिया की कहानियाॅं ही हैं। वहाॅं पर भी तीसरी लड़की पैदा होती हैं तो बड़ा दुःख मानते हैं। देश चाहे जो भी हो वहाॅं की समस्याऍं एक सी होती हैं।” वहीं पर वक्ताओं ने अनुवादक गोपीकृष्ण के साथ उनके संस्मरण साझा किया।

राहुल श्रीवास्तव के कहानी संग्रह ‘पुई’ का लोकार्पण

अगले सत्र में राहुल श्रीवास्तव के कहानी संग्रह ‘पुई’ का लोकार्पण हुआ। इस सत्र में ममता कालिया और सैयद मुहम्मद इरफ़ान विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद रहे। परिचर्चा के दौरान लेखक ने बताया इस संग्रह की कहानियाॅं निहायत ही निजी अनुभव और दृष्टिकोण पर आधारित कहानियाँ हैं। वहीं अन्य वक्ताओं ने कहा कि पुस्तक की भाषा अत्यन्त साधारण होते हुए भी कहानियाॅं ईमानदारी से भरी है जिसे पढ़कर मन थोड़ा विचलित होता है।

डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय की किताब ‘जयशंकर प्रसाद : महानता के आयाम’ पर परिचर्चा

अगले सत्र में डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय की पुस्तक ‘जयशंकर प्रसाद : महानता के आयाम’ पर अजित कुमार पुरी ने लेखक से बातचीत की। परिचर्चा के दौरान लेखक ने कहा “जयशंकर प्रसाद नारी जीवन के सबसे शुभचिंतक लेखक हैं जिन्होंने अपने साहित्य में 250 से अधिक स्त्री-चरित्रों की रचना की है। उनके सभी चरित्र तेजस्वी हैं, शांति और श्रद्धा की प्रतिमूर्ति हैं। अपने चरित्रों के माध्यम से वे बहुआयामी प्रश्न उठाते हैं और उनका समाधान भी प्रस्तुत करते हैं।” इसी क्रम में प्रो. उपाध्याय ने कहा “प्रसाद का साहित्य सार्वभौमिक शाश्वत है जिस पर पुनर्विचार, पुनर्लेखन और पुनर्विश्लेषण की आवश्यकता है।”

यतीश कुमार की किताब ‘बोरसी भर आँच’ का लोकार्पण

कार्यक्रम के अंतिम सत्र में यतीश कुमार की किताब ‘बोरसी भर आँच’ का लोकार्पण हुआ। यह लेखक की गद्य विधा में लिखी गई पहली कृति है। इससे पहले उनके दो कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। लोकार्पण के दौरान मंच पर उपस्थित वक्ताओं ने कहा कि इस संस्मरण में एक समय है जिसमें उसके लोग-बाग हैं किन्तु वे सब एक बच्चे की आँख और स्मृतियों के माध्यम से वर्णित हैं। संस्मरणात्मक विधा में लिखी गई इस किताब में लेखक ने अपने बचपन और अतीत की स्मृतियों को बहुत रोचक ढंग से अपनी लेखनी में उतारा है।

जन्मदिन पर विश्वनाथ त्रिपाठी की नई किताब का होगा लोकार्पण

राजकमल प्रकाशन समूह के स्टॉल जलसाघर में कल 16 फरवरी 2024 (शुक्रवार) को दोपहर 02 बजे से कार्यक्रम शुरू होगा। पहले सत्र में बसंत त्रिपाठी के कविता संग्रह ‘घड़ी दो घड़ी’ पर संजीव कौशल की उनके साथ बातचीत होगी। दूसरे सत्र में गरिमा श्रीवास्तव की किताब ‘देश ही देश’ का लोकार्पण होगा। वहीं तीसरा सत्र संपत सरल के नए व्यंग्य संग्रह ‘निठल्ले बहुत बिजी हैं’ के लोकर्पण का होगा। अगले सत्र में वरिष्ठ आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी के जन्मदिन के अवसर पर उनकी नई आलोचनात्मक कृति ‘हरिशंकर परसाई : देश के इस दौर में’ और उनके द्वारा सम्पादित हरिशंकर परसाई के व्यंग्य संग्रह ‘भोलाराम का जीव’ का लोकार्पण होगा। वहीं कार्यक्रम के अंतिम सत्र में मैनेजर पाण्डेय की किताब ‘दारा शुकोह : संगम संस्कृति का साधक’ का लोकार्पण होगा।

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