Shekhar Joshi: हिंदी के मशहूर कथाकार शेखर जोशी का 90 साल की आयु में निधन हो गया। शेखर जोशी ने अपने जीवनकाल में दाज्यू, कोसी का घटवार जैसी कई प्रगतिशील कहानियां दी हैं। उनके निधन की खबर आने के बाद साहित्य जगत में शोक की लहर हैं। शेखर जोशी के बेटे ने उनके निधन की खबर दी, उन्होंने बताया कि आज दोपहर 3:20 पर गाजियाबाद के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके बेटे प्रतुल जोशी ने बताया कि 10 दिनों से उनकी आंत का इलाज चल रहा था।
शेखर जोशी का जन्म 10 सितंबर 1932 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ओलिया गांव में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अजमेर और देहरादून में हुई। इंटरमीडिएट की पढ़ाई के दौरान ही सुरक्षा विभाग में जोशी जी का ई.एम.ई. अप्रेंटिसशिप के लिए चयन हो गया, जहां वो सन 1986 तक सेवा में रहे और उसके बाद स्वैच्छिक रूप से पदत्याग कर स्वतंत्र लेखक बन गए।
उनकी लिखी कहानियां इतनी प्रसिद्ध रहीं कि उनका अंग्रेजी, रूसी और जापानी समेत कई भाषाओं में अनुवाद भी किया गया। उनकी दाज्यू वाली कहानी पर एक फिल्म भी बनाई गई थी। उनके अचानक चले जाने से पूरे देश में शोक की लहर है। लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
Shekhar Joshi: इन कहानियों से मिली नई पहचान
दाज्यू, कोशी का घटवार, बदबू, मेंटल जैसी कहानियों ने ना सिर्फ शेखर जोशी के प्रशंसकों की लंबी जमात खड़ी की बल्कि नई कहानी की पहचान को भी अपने तरीके से प्रभावित किया। शेखर लगातार पहाड़ी इलाकों में गरीबी, कठिन जीवन संघर्ष, उत्पीड़न, यातना, उम्मीद और धर्म-जाति से जुड़ी रूढ़ियों के बारे में भी लिखते रहे।
- कोशी की घटवार- 1958
- साथ के लोग- 1978
- नौरंगी बीमार है- 1990
- हलवाहा- 1981
- मेरा पहाड़- 1989
- डागरी वाला-1994
- बच्चे का सपना- 2004
- आदमी का डर- 2011
- एक पेड़ की याद
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