‘’अंधा प्रेम ही रिश्तों में तानाशाही को जन्म देता है’’, लेखक ज्ञान चतुर्वेदी अपने उपन्यास ‘एक तानाशाह की प्रेमकथा’ की भूमिका में यह लिखते हैं। प्रेम एक ऐसा विषय है जिस पर न जाने कितना कुछ लिखा गया है, बोला गया है। लेकिन मजाल है कि लोगों का मन लव स्टोरी से ऊबा हो। खासकर सच्चे प्यार की तलाश तो सभी को रहती है। हमें भी हमारा सच्चा प्यार मिले , हमारी भी कोई लव स्टोरी हो यह चाहत सब में रहती है। हालांकि कुछ लोग इस सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं तो कुछ ऐसा करने से बचते हैं। प्यार का जब भी इजहार करना होता है तो समझ नहीं आता कि कैसे करें और क्या करें। हर शख्स अपने तरीके से प्यार जताता है।
एक तानाशाह की प्रेमकथा में लेखक ज्ञान चतुर्वेदी ने एक यूटोपिया रचा है। जिसमें जहां आपको प्रेम के शाश्वत सत्य होने का पता चलेगा तो वहीं प्रेम की आड़ में चल रही तानाशाही से भी परिचय होगा। उपन्यास में तीन शख्स प्यार के नाम पर अपने जीवनसाथी के साथ तानाशाही पर उतर आए हैं। एक बादशाह है जो तानाशाही में प्रेमबंदी तक करवा देता है। लेकिन सबसे बड़ी प्रेम की तानाशाही है जो थी, जो है और जो हमेशा रहेगी। इस बीच एक शख्स ऐसा है जो अपनी प्रेमिका के प्रेम का गुलाम है।
उपन्यास का सबसे बड़ा घटनाक्रम है बादशाह द्वारा प्रेमबंदी की घोषणा। बाद में प्रेमबंदी नाकाम साबित होती है। आखिर में जो बचा रह जाता है वह है प्रेम। उपन्यास बताता है कि दुनिया के सारे तानाशाह मिट जाएंगे लेकिन प्रेम की तानाशाही कभी नहीं मिटेगी।
चूंकि ज्ञान चतुर्वेदी व्यंग्यकार हैं इसलिए यह उपन्यास व्यंग्य की ही शैली में लिखा गया है। वे अंधा प्रेम करने वाले स्त्री-पुरुषों पर व्यंग्य करते हैं। साथ ही वे देशप्रेम की आड़ में चल रही तानाशाही पर भी कटाक्ष करते हैं।
उपन्यास पढ़कर आपको मालूम चलेगा कि इस बात को समझने की जरूरत है कि हमारा प्यार तानाशाही में न बदल जाए, वह हमारे प्रेमी के लिए क्रूरता का रूप न ले ले।
अगर आप प्रेम साहित्य पढ़ने के शौकीन हैं या लव स्टोरी आधारित चीजें पढ़तें हैं तो आपको यह उपन्यास जरूर पढ़ना चाहिए। यह उपन्यास कोई घिसी पिटी प्रेम कथा नहीं है बल्कि प्रेम पर एक नवीन दृष्टिकोण है।