उपन्यास फ्रैंकनस्टाइन आज से दो सदी पहले साल 1818 में प्रकाशित हुआ था। इस उपन्यास को इसकी कमाल की कल्पना के लिए सराहा जाता है और यह काफी लोकप्रिय भी रहा है। लेखिका मैरी शैली की इस रचना को लोग पहला साइंस फिक्शन भी करार देते हैं। पाठकों के बीच यह उपन्यास एक रोमैंटिक और गॉथिक नॉवेल के रूप में भी जाना जाता है।
लेखिका ने इस उपन्यास का उपशीर्षक दिया है मॉडर्न प्रोमेथियस। यूनानी पौराणिक कथाओं के मुताबिक प्रोमेथियस एक देवता है। जिसे इंसानों का मसीहा भी माना जाता है। कथाओं के मुताबिक उसकी बुद्धिमानी ने कला और विज्ञान को जन्म दिया। प्रोमेथियस के मानव जीवन को बेहतर बनाने के प्रयास में त्रासदी भी हुई। ऐसा ही कुछ इस उपन्यास में भी होता है।
उपन्यास की शुरुआत में एक जहाज का कप्तान रॉबर्ट वाल्टन अपनी बहन को पत्र लिखता है। वह उत्तरी ध्रुव की यात्रा पर है। जहां उसे अपने सफर में विक्टर फ्रैंकनस्टाइन मिलता है। विक्टर अपनी कहानी सुनाना शुरू करता है। विक्टर में भी ज्ञान प्राप्त करने की जिज्ञासा वैसे ही है जैसे कि कप्तान वॉल्टन में है। विक्टर पढ़ाई करने जर्मनी जाता है। वह विज्ञान की पढ़ाई करता है। वहां वह एक प्रयोग में राक्षस को जन्म देता है। लेकिन वह राक्षस को देख भाग खड़ा होता है।
बाद में उसे पता चलता है कि उसके भाई की हत्या हो गई है। घर लौटने पर उसे समझ आता है कि उसके भाई को राक्षस ने ही मारा था। हालांकि हत्या के जुर्म में जस्टिन को फांसी दे दी जाती है। इसको बाद राक्षस और विक्टर की मुलाकात होती है। राक्षस उसे बताता है कि लोग उससे से डरते हैं, नफरत करते हैं और वह अकेलापन महसूस करता है। वह विक्टर से कहता है कि वह उस जैसी एक मादा बनाए। विक्टर इसके लिए राजी हो जाता है। लेकिन बाद में उसे एहसास होता है कि ऐसा करना इंसानियत के लिए खतरनाक साबित होगा। वह ऐसा करने से इंकार कर देता है।
इसके बाद राक्षस विक्टर के दोस्त हेनरी और उसकी पत्नी एलिजाबेथ को भी मार देता है। इसके बाद विक्टर के पिता का भी निधन हो जाता है। अपने परिवार को खो देने के बाद विक्टर बदला लेने की सोचता है। राक्षस का पीछा करते करते वह उत्तरी ध्रुव तक पहुंच जाता है। जहां वह कप्तान वॉल्टन से मिलता है। जहाज पर रहते हुए विक्टर का निधन हो जाता है। बाद में कप्तान वॉल्टन देखता है कि राक्षस विक्टर के निधन से दुखी है और फिर राक्षस हमेशा के लिए गायब हो जाता है।
उपन्यास में विक्टर को ऐसे महत्वकांक्षी व्यक्ति के रूप में बताया गया है जोकि अपने प्रयोग के परिणाम पर सोचे बिना काम करता है और फिर उसके नतीजे से डर भाग खड़ा होता है। वह निर्दोष जस्टिन को मर जाने देता है। एक बार राक्षस को वादा कर फिर मुकर जाने के नतीजे पर भी विक्टर नहीं सोचता। जिसका खामियाजा तीन और लोगों को उठाना पड़ता है। विक्टर कभी भी स्वीकार नहीं करता कि उसकी महत्वकांक्षा कितने लोगों को भारी पड़ी। हालांकि अंत में उसे एहसास होता है कि शांति में ही सच्ची खुशी है। वहीं विक्टर के उलट, राक्षस इतने लोगों के मारे जाने पर दुखी होता है और खुद से नफरत करने लगता है। जो यह दर्शाता है कि राक्षस में विक्टर की बजाय अधिक मानवीय गुण हैं।