‘संपूर्ण समाधान’ एक दूरदर्शी और विचारोत्तेजक पुस्तक है, जिसमें भारत की प्रमुख सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक समस्याओं का विश्लेषण किया गया है और उनके व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत किए गए हैं। लेखक श्री राजेंद्र गोयनका ने अपने गहरे अनुभव और व्यापक दृष्टिकोण के माध्यम से यह दर्शाने का प्रयास किया है कि हर समस्या का समाधान संभव है, बशर्ते हम सकारात्मक सोच के साथ उसके मूल कारणों को समझें।
पुस्तक का सारांश
लेखक ने भारतीय समाज की जटिलताओं को गहराई से विश्लेषण करते हुए यह संदेश दिया है कि समस्या निराशा का कारण नहीं, बल्कि समाधान खोजने की प्रेरणा होनी चाहिए। इस पुस्तक में कृषि, उद्योग, न्यायपालिका, शिक्षा, भ्रष्टाचार, महंगाई, गरीबी, रोजगार और सांप्रदायिक सौहार्द जैसे विषयों को शामिल किया गया है।
पुस्तक के प्रमुख विचार इस प्रकार हैं:
- सामाजिक एवं आर्थिक समस्याओं पर विश्लेषण
कृषि संकट: किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाने, कृषि तकनीक में सुधार करने और सरकारी खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने का सुझाव दिया गया है।
उद्योग और व्यापार: भारत की औद्योगिक नीति को और अधिक व्यावहारिक बनाने पर जोर दिया गया है ताकि व्यापारिक अवसरों को बढ़ावा दिया जा सके और रोजगार के अवसर उत्पन्न हों।
महंगाई और गरीबी उन्मूलन: महंगाई पर नियंत्रण पाने के लिए उत्पादन लागत को कम करने और सरकारी वितरण प्रणाली में सुधार करने की आवश्यकता बताई गई है।
न्यायपालिका एवं कानूनी सुधार: भारत में न्यायिक प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाने की दिशा में सुधारों की जरूरत पर चर्चा की गई है। - समाधान की ओर एक ठोस दृष्टिकोण
लेखक ने स्पष्ट किया है कि सरकार और समाज को एक साथ आकर कार्य करना होगा, तभी वास्तविक समाधान संभव है। उन्होंने सुझाव दिया है कि:
शिक्षा प्रणाली को व्यावसायिक और व्यावहारिक बनाने की जरूरत है, जिससे युवा सिर्फ डिग्रीधारी न रहें, बल्कि कुशल श्रमिक भी बनें।
भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए सख्त कानून और पारदर्शिता जरूरी है।
सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए संवाद और सहिष्णुता को बढ़ावा देना होगा। - भाषा एवं शैली
लेखक की भाषा सरल, प्रभावी और व्यावहारिक है। पुस्तक में आधिकारिक आंकड़ों और शोधपरक दृष्टिकोण का उपयोग किया गया है, जिससे पाठक को प्रस्तुत विषयों की गहराई से समझ मिलती है।
निष्कर्ष
‘संपूर्ण समाधान’ केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि भारत के उज्जवल भविष्य की दिशा में एक आंदोलन है। यह पुस्तक नीति-निर्माताओं, युवाओं, शिक्षाविदों और समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणास्रोत साबित हो सकती है। श्री राजेंद्र गोयनका का यह प्रयास निश्चित रूप से भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देगा और पाठकों को समस्या-केन्द्रित सोच से समाधान-केन्द्रित सोच की ओर प्रेरित करेगा।
यह पुस्तक हर उस व्यक्ति को पढ़नी चाहिए, जो भारत के भविष्य को लेकर चिंतित है और इसे बेहतर बनाने की दिशा में कार्य करना चाहता है