आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी के सीएम बनने की कहानी कुछ फिल्मी सी है। आज उनके जन्मदिन के मौके पर हम बताएंगे कि कैसे एक सीएम के बेटे ने अपने पिता की मौत के बाद उनकी विरासत को संभाला। जहां उसे पार्टी आलाकमान के खिलाफ जाने का खामियाजा भुगतना पड़ा, जेल जाना पड़ा। आखिर कैसे उसने विपक्ष के नेता के रूप में ऐतिहासिक यात्रा निकाली और सीएम बनने का सफर तय किया।
सीएम पिता की मौत के बाद नहीं बन सके थे मुख्यमंत्री
ये कहानी शुरू होती है साल 2009 में। जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन के बाद जगन सबसे बड़े सीएम उम्मीदवार थे लेकिन पार्टी आलाकमान को ये रास नहीं आया और सीएम की कुर्सी किसी और को दे दी गयी। इसके बाद जगनमोहन ने सांत्वना यात्रा निकालने का फैसला किया। माना जाता है कि ये यात्रा उन लोगों को सांत्वना देने और ढाढस बंधाने के लिए शुरू की गयी थी जिन्हें राजशेखर रेड्डी के निधन से दुख पहुंचा था। साथ ही इस यात्रा के दौरान उन लोगों के परिजनों से मुलाकात की गयी, जिन्होंने कि सीएम के निधन से दुखी होकर आत्महत्या कर ली थी। हालांकि बाद में पार्टी ने जब यात्रा रोकने का आदेश दिया तो जगनमोहन ने उसको माना नहीं और यात्रा जारी रखी।
YSR कांग्रेस का गठन
पार्टी की लाइन और जगनमोहन के बीच तकरार से राज्य में पार्टी के बीच फूट पड़ गयी और दो गुट बन गए। एक गुट वो जो कांग्रेस समर्थक थे और दूसरे वो जो जगनमोहन को चाहते थे। बाद में कांग्रेस आलाकमान से नाराज जगनमोहन और उनकी मां ने कांग्रेस छोड़ दी। इसके बाद जगनमोहन ने वाईएसआर कांग्रेस बनाई, लेकिन ये तो संघर्ष की शुरूआत थी।
जेल यात्रा
साल 2012 में सीबीआई ने एक मामले में जगनमोहन रेड्डी को गिरफ्तार कर लिया। यहां तक कि जब तक कांग्रेस केंद्र में रही जगनमोहन रेड्डी हिरासत में ही रहे। इसके बाद यूपीए सरकार ने आंध्र प्रदेश के टुकड़े कर तेलंगाना बनाया तो जगनमोहन ने जेल में भूख हड़ताल की। जगनमोहन रेड्डी और उनकी पार्टी ने तेलंगाना बनाए जाने का जमकर विरोध किया।
3 हजार किलोमीटर लंबी प्रजा संकल्प यात्रा
जगनमोहन के लिए केंद्र से कांग्रेस का जाना मुफीद रहा। 2014 में जगनमोहन की पार्टी ने चुनाव लड़ा तो उनको मायूसी ही हाथ लगी। जहां विधानसभा में उनकी पार्टी तेलुगू देशम पार्टी से विधानसभा चुनाव हार गयी वहीं लोकसभा चुनाव में भी पार्टी को 9 सीटें ही मिलीं। विपक्ष के नेता के तौर पर जगनमोहन रेड्डी ने साल 2017 में 3 हजार किलोमीटर लंबी प्रजा संकल्प यात्रा निकाली। ये यात्रा साल 2019 की शुरूआत तक चली।
साल 2019 का चुनाव और सीएम की कुर्सी
साल 2019 जगनमोहन के लिए ऐतिहासिक रहा। जहां विधानसभा चुनाव में उन्हें 175 में से 151 सीटें मिलीं वहीं लोकसभा चुनाव में 25 में से 22 सीटों पर उनकी पार्टी जीती। इस तरह जगनमोहन ने पिता की विरासत को जारी रखा।