सड़कों के गड्ढे राजनीति का बड़ा हिस्सा रहे हैं। यूपी मे हमेशा ही खराब सड़कों के चलते सरकारों पर सवाल उठते आए हैं। यही वजह है कि यूपी में जब योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी तो उन्होंने सड़क को अपनी प्राथमिकता में रखा और सरकार बनने के 90 दिन के अंदर सूबे की सड़कों को गड्ढामुक्त करने का लक्ष्य तय किया। खैर ये लक्ष्य तो हासिल नहीं हो सका लेकिन आज सरकार के 15 महीने हो गए है तो सवाल ये है कि क्या यूपी की सड़कें वाकई गड्ढामुक्त हो गई हैं? जिस जगह पर सत्ता के शीर्ष लोग रहते हैं जिस जगह पर सड़कों को गड्ढामुक्त किए जाने की योजनाएं बनती है उस जगह पर सड़कों का क्या हाल है, ये जानने के लिए हम राजधानी लखनऊ की सड़कों का जायजा लिया।

सड़कों की हकीक़त जानने के लिये सबसे पहले हम अयोध्या-फैजाबाद हाईवे की तरफ बढ़े।  राजधानी लखनऊ से जुड़े इस हाईवे से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या खुद गुजरते हैं लेकिन इस हाईवे को देखकर आप समझ सकते है कि जब राजधानी लखनऊ में सड़कों का ये हाल हो तो बाकी सूबे के बाकी जिलों में क्या हाल होगा।  फैजाबाद- अयोध्या हाईवे की सड़क कई जगहों पर जर्जर हाल में है। सड़क पर कई गड्ढे बन है जो हादसों को दावत देते रहते हैं। राजधानी लखनऊ से जुड़े होने के बावजूद यहां की बदहाली हैरत करने वाली बात है।

फैजाबाद- अयोध्या हाईवे की दुर्दशा देखने बाद जब हम शहर की तरफ बढे तो हमारा पड़ाव जानकीपुरम था। 2017 में जब बीजेपी सरकार बनी तो नई-नवेली सरकार के उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा खुद पिछले साल दुर्गा पूजन में शामिल होने जानकीपुरम आए थे। डिप्टी सीएम साहब ने तब यहां की सड़कों को गड्ढामुक्त बनाने का वादा किया था लेकिन एक के बाद एक कई महीने गुजर गए लेकिन सड़कें नहीं बन सकी।

अब आपको लखनऊ के ऐसे इलाके में ले चलते हैं जहां लखनऊ नगर मिगम ने भी सरकर के ही ढर्रे पर चलने का मूड बना लिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब आप इन गलियों से गुजरेंगे तो यकीन मानिये आप भी सोचने पर मजबूर हो जायेंगे की आप राजधानी लखनऊ मे है या किसी दूर-दराज के पिछड़े गांव में। दुबग्गा फरीदी नगर क्षेत्र में बस्ती तो बस गई लेकिन कई जगहों पर आज तक सड़क नहीं बन सकी। बरसात में तो ये कच्ची सड़क तालाब बन जाती है और लोगों को यहां से निकलता मुहाल रहता है।

अब हम आगे की तरफ बढ़े और बढ़ते-बढ़ते हम पहुंचे बुद्धेश्वर चौराहे पर। ये चौराहा एक तरफ लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस को कनेक्ट करता है तो वहीं एक तरफ  कानपुर, रायबरेली,  हरदोई, सीतापुर जाने का भी रास्ता है। इतनी महत्वपूर्ण सड़क होने के बावजूद यहां पर हालात ऐसे कि लोगों का पैदल चलना तक दुश्वार हो गया है। सड़क पर गड्ढे ही गड्ढे नजर आते हैं। सीएम योगी के एलान पर सवाल खड़े करने वालों के लिए ये गड्ढे लंबे सवालों की सड़क तैयार कर सकते है। कहने को तो लखनऊ उत्तर प्रदेश की राजधानी है और नवाबों के शहर के नाम से भी मशहूर है लेकिन यहां की गड्ढोंवाली सड़के इसके शान पर बट्टा लगा रही है। चंद वीआईपी सड़कों को छोड़ दे तो ज्यादातर सड़कों की स्थिति ऐसी नहीं जो इस राजधानी का शान दे सके। जहां शासन सत्ता का शीर्ष मौजूद हो वहां की ऐसी बदरंग तस्वीर है तो बाकी जगहों के हालात समझना मुश्किल नहीं। ये सूरत ए हाल सरकार और अधिकारियों के लिए अफसोसनाक है और दोनों ही के कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हैं।

                                                                                                                         एपीएन ब्यूरो

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here