सबरीमाला मंदिर बुधवार को मासिक पूजा पाठ के लिए खोला जाना है। मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को रोकने के लिए राज्यभर में बड़े स्तर पर प्रदर्शन हो रहे हैं। महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ महिलाएं भी विरोध-प्रदर्शनों में शामिल हो रही हैं। केरल में भाजपा के हजारों कार्यकर्ता सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सोमवार को सड़कों पर उतर आए। प्रदर्शन करने वाले संगठनों का कहना कि वे 17 अक्टूबर को होने वाली मासिक पूजा में महिलाओं को प्रवेश नहीं लेने देंगे। इसके लिए जरूरत पड़ी तो वे मंदिर परिसर के गेट पर भी लेट जाएंगे। इसके अलावा कांग्रेस और राज्य के कई हिंदू संगठनों भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

भाजपा ने अपने सहयोगी संगठनों के साथ मिलकर ‘सबरीमाला बचाओ अभियान’ चलाया। इसमें बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता भगवान अय्यप्पा की तस्वीर लिए शामिल हुए। मंदिर बोर्ड ने मंगलवार को मंदिर के मुख्य पुजारियों और राज परिवार के साथ बैठक बुलाई है। इसमें 17 नवंबर से शुरू होने वाले सालाना उत्सव की तैयारियों को लेकर चर्चा होगी।

इससे पहले केरल शिवसेना ने रविवार को कहा था कि उनकी पार्टी की महिला कार्यकर्ताएं 17-18 अक्टूबर को पांबा नदी के किनारे आत्महत्या समूह का हिस्सा होंगी। जैसे ही कोई युवती मंदिर में प्रवेश करेगी, हमारी कार्यकर्ताएं आत्महत्या कर लेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश करने की इजाजत दी। पहले यहां 10 साल की बच्चियों से लेकर 50 साल तक की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी थी। यह प्रथा 800 साल से चली आ रही थी। सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश के फैसले के खिलाफ केरल के राजपरिवार और मंदिर के मुख्य पुजारियों समेत कई हिंदू संगठनों ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। अदालत ने इनपर सुनवाई करने से इनकार कर दिया।

सबरीमाला मंदिर केरल स्थित पत्तनमतिट्टा जिले के पेरियार टाइगर रिजर्वक्षेत्र में है। 12वीं सदी के इस मंदिर में भगवान अय्यप्पा की पूजा होती है। मान्यता है कि अय्यपा, भगवान शिव और विष्णु के स्त्री रूप अवतार मोहिनी के पुत्र हैं। भगवान अय्यप्पा के दर्शन के लिए हर साल यहां 4.5 से 5 करोड़ लोग आते हैं। इस मंदिर की व्यवस्था का जिम्मा राज्य में मंदिरों का प्रबंधन देखने वाले त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड के हाथ में है।

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