जून का महीना जम्मू-कश्मीर के लिए बेहद खास है, क्योंकि इसी महीने महबूबा मुफ्ती की सरकार गिरी। इसके अगले दिन राज्य में राज्यपाल शासन लग गया। इसके बाद अब 28 जून का दिन बेहद अहम रहेगा क्योंकि राज्यपाल एन.एन वोहरा रिटायर हो रहे हैं और इसी दिन अमरनाथ यात्रा भी शुरू हो रही है। ऐसे में एक सवाल चर्चा का विषय बन गया है कि बतौर राज्यपाल केंद्र की ओर से चलाए जाने वाले शासन की बागडोर अब किसके हाथों में होगी।

हालांकि बताया जा रहा है कि एनएन वोहरा का कार्यकाल फिर से बढ़ाया जा सकता है। क्योंकि सरकार की ओर से इस संबंध अभी तक कोई कवायद शुरू नहीं की गई है। इस बीच बीवीआर सुब्रह्मण्यम को प्रदेश का नया मुख्य सचिव बनाया गया है। वोहरा की मदद के लिए दो सलाहकारों को भी नियुक्त किया गया है।

बता दें कि वोहरा 2008 में पहली बार जम्मू कश्मीर के राज्यपाल बनाए गए थे। 2013 में उनकी सेवा का विस्तार कर दिया गया। केंद्र के पास 2 विकल्प है कि वो 82 के हो चुके वोहरा का कार्यकाल फिर से बढ़ाएं या फिर उनकी जगह किसी और की नियुक्ति करे। अगर केंद्र सरकार किसी नए चेहरे की नियुक्ति पर विचार करता है तो उसके पास 2 विकल्प होंगे। किसी ऐसे नौकरशाह को राज्यपाल के पद पर बिठाया जाए जो सूबे में लंबे समय से जुड़ा हो या फिर किसी सेवानिवृत्त सैन्य अफसर को ये कमान सौंपा जाए।

फिलहाल, सूबे में शांति और अमन चैन कायम रखने के लिए राज्यपाल के रूप में जो नाम सबसे आगे चल रहे हैं उनमें जम्मू-कश्मीर मामले में केंद्र के वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा और पूर्व सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग प्रमुख हैं। दिनेश्वर शर्मा वोहरा की तरह एक नौकरशाह हैं, लेकिन वो खुफिया अफसर रहे हैं। 1976 में केरल कैडर के आईपीएस अफसर रहे दिनेश्वर 2016 में आईबी चीफ के रूप में रिटायर हुए। पिछले साल उन्हें केंद्र के वार्ताकार के रूप में नियुक्त किया गया था।

                                                                                                                ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन

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