सूबे में गडढामुक्त सड़कों की तलाश करते हुए एपीएन की टीम गोंडा शहर पहुंची।  स्टेशन से बाहर निकलते ही हमें सड़क पर बड़ा सा तालाब नजर आया।  पूछने पर पता चला कि दरअसल ये तालाब नहीं बल्कि सड़क पर बने बड़े गड्ढे हैं जिनमें बरसात का पानी भर गया है।  स्टेशन रोड में बड़े गड्डे हैं जो पानी भर जाने की वजह से तलाब की शक्ल में नजर आ रहे थे। । स्टेशन रोड, जरवल से गोंडा तक बनने वाले फोरलेन सड़क का एक हिस्सा है। इस रास्ते में इतने बड़े-बड़े गड्ढे बन गए है कि बारिश होने पर पूरी सड़क तालाब में तब्दील हो जाती हैं। उसके बाद तो यहां से गुजरना किसी जंग लड़ने से कम नहीं रहता।  जरवल से गोंडा तक ये सड़क 48 किलोमीटर लंबी है लेकिन पूरी सड़क ही जर्जर स्थिति में है इस सड़क पर जितना आगे बढ़ते जाएंगे जगहों के नाम बदलते जाएंगे लेकिन सड़क की स्थिति नहीं बदलती।

चलिए अब आपको गोंडा की कुछ और सड़कों से आपको रूबरू कराते हैं।  गोंडा के सुभागपुर की सड़क पर भी हमें योगी सरकार के गड्ढामुक्त सड़कों के दावों की पोल खुलती दिखी।  ये सड़क पूरी तरह से टूटी हुई है।  सड़क पर सिर्फ गिट्टियां और छोटे-छोटे पत्थरों के टुकड़े बिखरे हुए हैं।  इस सड़क से होकर गुजरना बड़ी चुनौती है।

गोंडा के गोसियान रोड की स्थिति भी बदहाल है।  इस सड़क के गड्ढ़े बता रहे हैं कि सरकार के दावे और हकीकत में कितना फर्क है।  पूरी सड़क टूटी हुई है।  सड़क इस कदर जर्जर है कि इसे देख कर यकीन करना मुश्किल है कि यहां कभी पक्की सड़क भी थी।  ये शहर के व्यस्त सड़कों में शुमार है, यहां हर वक्त गाड़ियों की आवाजाही रहती है लेकिन सड़क दुर्दशा लोगों के लिए सफर को बुरे सपने में तब्दील कर देती है। इसी टूटी, उबड़-खाबड़ सड़क से होकर गोंडा के लोग गुजरने को मजबूर हैं। लेकिन इतना तो तय है कि इस सड़क से गुजरते वक्त लोगों के जेहन में सीएम योगी का वो दावा जरूर याद आता है जिसमें उन्होंने सूबे की सभी सड़कों के गड्ढ़मुक्त हो जाने की घोषणा की थी। काश सीएम योगी भी इस सड़क से गुजरते तो ऐसी घोषणा करने से पहले सौ बार सोचते।  और देखते कि सरकार को उनके ही अधिकारी कैसे गुमराह कर रहे हैं।

गोंडा में गड्ढामुक्त सड़कों को ढूंढते हुए हम सीतापुर आई हॉस्पीटल रोड पहुंचे।   यहां भी सड़कों की वहीं तस्वीर दिखी जो बाकी जगहों की थी।  सड़के पूरी तरह से जर्जर है।  सड़क पर तारकोल नजर नहीं आता।  गिट्टी उखड़ कर सड़क पर बिखरी हुई है जिनसे वाइक सवारों के फिसलने का खतरा बना रहता है।  देखा जाए तो इसे पक्की सड़क कहना सड़क की तौहीन है।  पूरी सड़क कच्ची सड़क की तरह दिखती है जिन पर चलने वाली गाड़ियां घूल उड़ते हुए निकलती है। लेकिन जरा सी बारिश होने पर सड़क में कीचड़ भर जाती है और बारिश अगर ज्यादा मेहरबान हुए तो पूरी सड़क पानी में डूब जाती है।

रोडवेज रोड का भी हाल भी खस्ता है।  सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हैं और इन्हीं गड्ढों से होकर गाड़ियां गुजर रही हैं।

गोंडा से बलरामपुर जाने वाली सड़क पर बने फ्लाईओवर की सड़क भी जर्जरहाल में है। सड़क की उपरी परत टूट रही है और जल्द ही इसकी मरम्मत नहीं की गई तो फुल पर भी बड़े-बड़े गड्ढे देखने को मिलेंगे।

दरअसल सरकार और प्रशासन लाख दावे करे लेकिन तस्वीरे झूठ नहीं बोलती।  सरकारी दस्तावेजों में भले ही सूबे की सभी सड़कों को गड्ढामुक्त कर सरकार अपनी पीठ थपथपा ले लेकिन सरकार की नाकामियों का जनता खामियाजा भुगत रही है।  गोंडा की ज्यादातर सड़कें सरकार के दावों की पुष्टि नहीं करती।  ऐसे में जरुरी है कि सरकार हवा-हवाई दावों को छोड़कर हकीकत की तस्वीर को देखे और उसके मुताबित काम करे।

                                                —पीयूष रंजन