कौन हैं बी. सुदर्शन रेड्डी? I.N.D.I.A. गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार, जानिए उनके बारे में खास बातें

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कौन हैं बी. सुदर्शन रेड्डी?
कौन हैं बी. सुदर्शन रेड्डी?

आगामी 9 सितंबर को उपराष्ट्रपति चुनाव बेहद रोचक होने जा रहा है। एक ओर एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को मैदान में उतारा है, तो दूसरी ओर विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार घोषित किया है। दिलचस्प बात यह है कि दोनों ही दावेदार दक्षिण भारत से ताल्लुक रखते हैं।

सुदर्शन रेड्डी का नाम कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर हुई विपक्षी दलों की बैठक में तय किया गया। लंबे कानूनी करियर और न्यायपालिका में अहम भूमिका निभाने के कारण उन्हें सर्वसम्मति से उम्मीदवार बनाने का निर्णय हुआ। जस्टिस (रिटायर्ड) रेड्डी का सफर करीब चार दशक तक न्यायिक सेवाओं और सार्वजनिक जीवन में रहा है।

बी. सुदर्शन रेड्डी के बारे में 5 अहम बातें

जन्म और पृष्ठभूमि – बी. सुदर्शन रेड्डी का जन्म 8 जुलाई 1946 को मौजूदा तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले के इब्राहिमपटनम तालुका के अकुला मायलाराम गांव में एक साधारण किसान परिवार में हुआ।

शिक्षा और शुरुआती करियर – 1971 में उन्होंने हैदराबाद की उस्मानिया यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई पूरी की और आंध्र प्रदेश बार काउंसिल में वकील के तौर पर पंजीकृत हुए। इसके बाद आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में रिट और सिविल मामलों की पैरवी शुरू की।

सरकारी वकील और सलाहकार – 1988 से 1990 तक उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में सरकारी वकील की जिम्मेदारी निभाई। कुछ समय वे केंद्र सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील भी रहे। उस्मानिया यूनिवर्सिटी के स्थायी वकील और कानूनी सलाहकार के रूप में भी उन्होंने कार्य किया।

न्यायपालिका में भूमिका – 1995 में उन्हें आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 2005 में वे गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने और 2007 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पद पर पदोन्नत हुए। वर्ष 2011 में उन्होंने सेवानिवृत्ति ली।

लोकायुक्त पद – सेवानिवृत्ति के बाद मार्च 2013 में वे गोवा के पहले लोकायुक्त बने। हालांकि, कुछ ही महीनों बाद सितंबर 2013 में उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दे दिया।

बी. सुदर्शन रेड्डी का नाम सामने आने के बाद उपराष्ट्रपति चुनाव का मुकाबला और दिलचस्प हो गया है, क्योंकि यह चुनाव सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि न्यायिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार की मौजूदगी से और भी खास बन गया है।