सिर्फ 25 मिनट में 24 स्ट्राइक, जानें किन हथियारों का हुआ इस्तेमाल, क्यों ऑपरेशन सिंदूर है खास?

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2016 के उरी सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 के बालाकोट एयरस्ट्राइक या अन्य पूर्व भारतीय अभियानों की तुलना में, जो सीमित दायरे और लक्ष्यों तक सीमित थे, ऑपरेशन सिंदूर तकनीकी रूप से कहीं अधिक सशक्त, व्यापक और अभूतपूर्व था। इस कदम ने एक बात स्पष्ट कर दी है कि भारत ने अपनी पूर्व सैन्य नीति से अलग रुख अपना लिया है। ऑपरेशन सिंदूर न सबसे व्यापक सीमा-पार कार्रवाई थी, बल्कि यह भारत की रणनीतिक सोच और सैन्य नीति में आए एक स्पष्ट परिवर्तन का संकेत भी है। आतंकियों की भारी नुकसान ने आतंकी नेटवर्क और उनके संचालकों को एक सख्त संदेश दिया है। अब भारत अपने ऊपर हमले की आशंका मात्र पर भी पहले हमला करने का अधिकार रखता है, और कोई भी ठिकाना भारत की पहुंच से बाहर नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर आतंकवाद के लॉजिस्टिक और ऑपरेशनल ढांचे को ध्वस्त करने का ऑपरेशन था।

भारत ने महज 25 मिनट में 24 मिसाइलें दागीं, जो पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoJK) में स्थित 9 आतंकी शिविरों पर गिरीं और 70 आतंकवादियों को ढेर कर दिया। ये स्ट्राइक 7 मई को तड़के 1:05 बजे से 1:30 बजे तक चली और इसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया। इस संयुक्त अभियान को भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना ने मिलकर अंजाम दिया।

नई दिल्ली में एक प्रेस ब्रीफिंग में, विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने, कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ, बताया कि यह कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई है। उन्होंने कहा, “यह एक संतुलित और अनुपातिक प्रतिक्रिया थी।” उस हमले में, जो पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों द्वारा किया गया माना गया था, 26 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था, और कई अन्य घायल हुए थे।

कर्नल कुरैशी ने कहा कि यह अभियान रणनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है।उन्होंने कहा, “पिछले तीन दशकों से पाकिस्तान आतंकवाद के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है – भर्ती केंद्र, प्रशिक्षण शिविर, लॉन्च पैड आदि। यह ऑपरेशन इन ठिकानों को ध्वस्त करने और भविष्य में हमलों को रोकने के लिए था,” ।

विदेश सचिव मिस्री ने आगे कहा, “हमारी खुफिया जानकारी के अनुसार भारत पर और हमले की योजना बनाई जा रही थी। ऐसे में प्रतिरोध और रोकथाम – दोनों कारणों से, भारत ने आज सुबह जवाब देने का अपना अधिकार प्रयोग किया। हमारा यह कदम संतुलित, जिम्मेदार और सीमा पार आतंकवाद को रोकने की मंशा से था। यह आतंकी ढांचे को खत्म करने पर केंद्रित था।”

सरकार के बयान के अनुसार सभी हमले अपने लक्ष्य में सफल रहे। UAV (ड्रोन) से की गई निगरानी ने कमांड सेंटर, प्रशिक्षण शिविर, हथियार डिपो और लॉन्च पैड के ध्वस्त होने की पुष्टि की।

ऑपरेशन सिंदूर में इस्तेमाल हथियार

SCALP क्रूज़ मिसाइल (Storm Shadow):यह एक लंबी दूरी की, हवा से दागी जाने वाली क्रूज़ मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता 250 किलोमीटर से अधिक होती है। यह गहरे ठिकानों पर हमला करने के लिए डिज़ाइन की गई है।

HAMMER (Highly Agile Modular Munition Extended Range): यह स्मार्ट बम मजबूत बंकरों और बहुमंजिला इमारतों पर हमले के लिए उपयोग किया गया, जो LeT और JeM जैसे आतंकी संगठनों के प्रशिक्षण और लॉजिस्टिक्स केंद्र के रूप में प्रयुक्त हो रहे थे। इसकी मारक दूरी 50 से 70 किलोमीटर तक होती है।

Loitering Munitions (कामिकाजे ड्रोन):इन्हें निगरानी, लक्ष्य पहचान और अंतिम हमले के लिए इस्तेमाल किया गया। ये ड्रोन लक्षित क्षेत्र के ऊपर मंडराते हैं और स्वचालित या दूरस्थ नियंत्रण द्वारा खतरे की पहचान कर उसे समाप्त कर देते हैं।

लक्ष्य :

मरकज़ सुब्हान अल्लाह, बहावलपुर (JeM): जैश-ए-मोहम्मद का वैचारिक और संचालन मुख्यालय, जहाँ आतंकियों का प्रशिक्षण होता रहा है।

मरकज़ तैयबा, मुरिदके (LeT): लश्कर-ए-तैयबा द्वारा उपयोग की जाने वाली 200 एकड़ का परिसर, जहाँ कट्टरता का प्रचार, रसद और योजना निर्माण होता था। यह ऑपरेशन का सबसे बड़ा लक्ष्य था।

मरकज़ अब्बास, कोटली (JeM):आत्मघाती हमलावरों को प्रशिक्षित करने और हथियारों के वितरण का प्रमुख केंद्र।

सैयदना बिलाल और शवाई नाला शिविर, मुज़फ्फराबाद (JeM और LeT): इन्हें घुसपैठ के मार्ग और स्लीपर सेल्स के प्रशिक्षण केंद्र के रूप में उपयोग किया जाता था।

मरकज़ अहले हदीस, बरनाला (LeT):यह सहायता केंद्र और क्षेत्रीय रसद केंद्र के रूप में कार्यरत था।

सरजल, तहरा कलां (JeM): नए आतंकियों के लिए पूर्व-घुसपैठ प्रशिक्षण शिविर।

महमूना जोया, सियालकोट (HM): हिज़्बुल मुजाहिद्दीन का एक कम ज्ञात प्रशिक्षण केंद्र, जो कश्मीर घाटी में संगठन की कमजोर उपस्थिति के बावजूद सक्रिय है।

कितना नुकसान पहुंचाया गया

इस ऑपरेशन में 70 से अधिक आतंकवादी मारे गए और 60 से ज्यादा घायल हुए। हमलों में जमीन और हवा से लॉन्च की गई मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया। निगरानी ड्रोन के माध्यम से रीयल-टाइम मॉनिटरिंग की गई जिससे टारगेट की सफलता और नागरिक हानि न्यूनतम रही।

उच्च सटीकता सुनिश्चित करने के लिए लेज़र-गाइडेड मिसाइलों और सैटेलाइट-गाइडेड ग्लाइड बमों का प्रयोग किया गया। मिसाइलें समन्वित ढंग से एक ही समय में विभिन्न प्लेटफॉर्म से दागी गईं, जिससे आतंकी शिविरों को प्रभावी ढंग से निष्क्रिय किया जा सका।