झारखंड में सेवा के नाम पर बच्चों की खरीद बिक्री विवाद में अब चर्च खुलकर मिशनरीज ऑफ चैरिटी के समर्थन में आ गया है। देश भर के चर्चों के सबसे बड़े संगठन कैथोलिक बिशप्स कांफ्रेंस ऑफ इंडिया के महासचिव बिशप थियोडोर मास्करेन्हास ने कहा कि 280 बच्चों को बेचे जाने की बात झूठी है। इस बीच झारखंड के मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड की उन सभी संस्थाओं की जांच की जाए जो बच्चों की देखभाल का काम देख रहे  हैं।

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी से जुड़े मामले को लेकर एक बैठक करने के बाद संबंधित अधिकारियों को जांच का दायरा बढ़ाने का निर्देश दिया है। रांची की तरह प्रदेश में और भी संस्थाएं हैं, जो बच्चों की देखभाल करती हैं। मुख्यमंत्री ने इन सभी  संस्थाओं की भी जांच करने को कहा है। ताकि भविष्य में किसी तरह की गड़बड़ियों को होने से रोका जा सके।

इस बीच मिशनरी ऑफ चौरिटी मामले में रोज नये खुलासे हो रहे हैं। रांची जिला प्रशासन के द्वारा 29 जून को निर्मल हृदय से जब्त रजिस्टर के अनुसार मार्च 2016 से जून 2018 के बीच 110 बच्चों का जन्म हुआ था इसमें बाल कल्याण विभाग को महज 52 बच्चों की जानकारी दी गई है। रिकॉर्ड के अनुसार 58 बच्चे गायब है

इधर देश  में चर्च के सबसे बड़े निकाय, कैथोलिक बिशप्स कांफ्रेंस ऑफ इंडिया के महासचिव, बिशप थियोडोर मास्करेन्हास ने मिशनरीज ऑफ चैरिटी का बचाव करते हुए कहा कि इस मामले को जांच एजेंसियां गलत तरीके से पेश कर रही है और सिस्टर कोंसीलिया पर दबाव डाल कर  बयान पर जबरन  हस्ताक्षर कराया गया है।  Where did the 58 children disappear from 'Nirmal Hriday'?Missionaries of Charity also do not have answers

मिशनरीज ऑफ चैरिटी द्वारा संचालित निर्मल हृदय केंद्र के रजिस्ट्रेशन को लेकर भी विवाद है। बताया गया है कि इसका रजिस्ट्रेशन  25 मई 2018 को ही समाप्त हो गया है। लेकिन रजिस्ट्रेशन खत्म हो जाने के बाद भी यहां नाबालिग गर्भवती लड़कियों को रखा गया। इतना ही नहीं उनके बच्चों को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के अभिभावकों को बेच दिया गया।

बिशप थियोडोर मास्करेन्हास ने कहा कि अनीमा इंदवार मिशनरीज ऑफ चैरिटी की कर्मचारी है, सिस्टर नहीं। उसने पैसे लेकर एक बच्चा किसी को दे दिया तो  उसने गलत किया। हम इसकी निंदा करते हैं. पर इसमें मिशनरीज ऑफ चैरिटी धर्मसंघ शामिल नहीं है। इसके सभी केंद्र की जांच सीडब्ल्यूसी कर चुका है, जिसमें कुछ भी नहीं मिला। 280 बच्चों की बात झूठी है। घटना के आठ दिनों के बाद तक किसी को भी गिरफ्तार सिस्टर कोसीलिया से मिलने नहीं दिया गया।

उन पर दर्ज एफआइआर की कॉपी के लिए कोर्ट का सहारा लेना पड़ा। जब वकील को सिस्टर से10 मिनट के लिए मिलने का अवसर दिया गया, तब उन्होंने बताया कि उनसे जबरन बयान दिलाया गया और हस्ताक्षर कराया गया है । जिससे गलती हुई, सजा उसे मिलनी चाहिए।

बिशप ने कहा कि हमारे लिए हर बच्चा पवित्र है। 22 जून को ही केंद्र को एक्जिक्यूटिव मजिस्ट्रेट की ओर से अच्छे काम का सर्टिफिकेट दिया गया था। फिर वहां से बच्चे क्यों निकाल लिये गये?

ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन

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