What is Surrogacy: भारत में इन दिनों सरोगेसी (Surrogacy) की चर्चा खूब हो रही है। बॉलीवुड के कई सितारे अभी हाल ही में सरोगेसी की मदद से माता- पिता बने हैं। इसमें शिल्पा शेट्टी (Shilpa Shetty), करण जौहर (Karan Johar ), तुषार कपूर (Tusshar Kapoor), सन्नी लियोनी (Sunny Leone), प्रीति जिंटा (Preity Zinta ), और प्रियंका चोपड़ा (Priyanka Chopra) का नाम शामिल है। भारत में सरोगेसी का चलन समय के साथ बढ़ता जा रहा है। सरोगेसी की आड़ में बच्चियों को वेश्यावृत्ती में ढकेला जा रहा है।
इसलिए किराए की कोख ( Surrogacy ) का धंधा करने वालों पर रोक लगाने के लिए सेरोगेसी (Surrogacy) (विनियमन) अधिनियम 2021 (Surrogacy (Regulation) Act 2021) को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) ने 27 दिसंबर 2021 को मंजूरी दे दी थी। भारत में सरोगेट मदर बनने के लिए कुछ कानूनी प्रक्रिया को पूरा करना बेहद जरूरी हो गया है। ।
What is Surrogacy: खर्च

सरोगेसी बच्चा पैदा करने की एक नई तकनीक है। इस तकनीक के तहत दंपती किसी शारीरिक कमजोरी या फिर बच्चा पैदा करने की चाह न रखने वाले लोग सरोगेसी के जरिए माता-पिता बन सकते हैं। सरोगेसी (Surrogacy) में किसी महिला के गर्भ को किराए पर लिया जाता है। गर्भ को किराए पर लेने के बाद आईवीएफ के जरिए शुक्राणु को सरोगेट मदर के गर्भ में डाला जाता है। किराए पर कोख देने वाली महिला को सरोगेट मदर कहा जाता है। किराए पर कोख लेने वाली महिला और दंपती के बीच एक खास एग्रीमेंट किया जाता है। सरोगेट मदर को प्रेग्नेंसी के दौरान अपना ध्यान रखने और मेडिकल जरूरतों के लिए पैसे दिए जाते हैं।
सरोगेसी के जरिए लिए माता- पिता बनने की चाह रखने वाले कपल लाखों खर्च करते हैं। वैसे भारत में सरोगेसी के लिए 10-25 लाख तक का खर्च आता है। वहीं विदेशों में 60 लाख के आस पास खर्च करना पड़ता है। असल में पूरा खर्च किराए पर अपना गर्भ देने वाली महिला की मांग पर निर्भर करता है।
सरोगेसी दो प्रकार की होती है। पहली ट्रेडिशनल सरोगेसी और दूसरी जेस्टेशनल सरोगेसी। ट्रेडिशनल सरोगेसी में किराए पर गर्भ देने वाली महिला ही बॉयोलॉजिकल रूप से बच्चे की मां होती है। पर इसमें बच्चे के जन्म के बाद उस पर पूरा अधिकार उस कपल का ही होता है, जिसने सरोगेसी करवाई है।
What is Surrogacy: कानूनी प्रक्रिया

जेस्टेशनल सरोगेसी में किराए पर कोख देने वाली महिला के गर्भ में किराए पर गर्भ लेने वाले कपल का शुक्राणु डाला जाता है। इस प्रकिया में सरोगेट मदर सिर्फ बच्चे को जन्म देती है। इसमें बच्चे का सरोगेट मदर से किसी भी तरह से जेनेटिकली संबंध नहीं होता है।
भारत में पहले सरोगेसी की प्रक्रिया आसान थी लेकिन अब सरोगेसी की मदद से माता-पिता बनने की चाह रखने वाले कपल को यह साबित करना होगा कि वे माता-पिता नहीं बन सकते हैं। सरोगेसी की अनुमति तब ही दी जाएगी जब संतान की चाह रखने वाला जोड़ा यह मेडिकल रिपोर्ट में साबित कर देगा कि वह बांझपन का शिकार है।
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