Ken-Betwa Link Project: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केन और बेतवा नदियों को जोड़ने वाले प्रोजेक्ट Ken-Betwa Link Project को मंजूरी दे दी है। इस प्रोजेक्ट में 44,605 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। इस परियोजना का 90% खर्च केंद्र सरकार उठाएगी। इसके तहत 176 किलोमीटर की लिंक कैनाल का निर्माण किया जाएगा, जिससे दोनों नदियों को जोड़ा जा सके। प्रोजेक्ट के अस्तित्व में आने के बाद 12 जिलों को पानी मिलेगा। इसके साथ ही 10 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होगी।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अगले साल उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले नदी जोड़ो अभियान के तहत देश की पहली केन-बेतवा लिंक परियोजना की आधारशिला रखी जाएगी। इसका भूमिपूजन अगले महीने झांसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों हो सकता है। इससे पहले मोदी कैबिनेट ने दोनों राज्यों और केंद्र के बीच हुए समझौते के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
मध्यप्रदेश के 8 और यूपी के 4 जिलों को मिलेगा पानी
केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट से नॉन मानसून सीजन (नवंबर से अप्रैल के बीच) में मध्यप्रदेश को 1,834 मिलियन क्यूबिक मीटर (MCM) व उत्तर प्रदेश को 750 मिलियन क्यूबिक मीटर (MCM) पानी मिलेगा। इस योजना का उद्देश्य सागर-विदिशा समेत मध्यप्रदेश के 8 जिलों को पानी पहुंचाना है। बता दें कि इसे लेकर मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच चल रहा विवाद केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद 8 महीने पहले सुलझ गया था।
इसी साल, विश्व जल दिवस पर 8 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए (MOA) मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस MOA पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, मध्यप्रदेश के CM शिवराज सिंह चौहान और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हस्ताक्षर किए। इस परियोजना में 90% राशि केंद्र सरकार देगी, जबकि शेष 5-5% हिस्सेदारी मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश वहन करेंगे।
प्रोजेक्ट के दोनों फेज से सालाना करीब 10.62 लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। साथ ही, 62 लाख लोगों को पीने के पानी के साथ 103 मेगावॉट हाइड्रो पावर भी पैदा की जाएगी। केन-बेतवा लिंक परियोजना में दो बिजली प्रोजेक्ट भी प्रस्तावित हैं, जिनकी कुल स्थापित क्षमता 72 मेगावॉट है।
परियोजना से बुंदेलखंड के उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के 12 जिलों को पानी मिलेगा। मध्यप्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी को पानी मिलेगा। वहीं, उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिलों को राहत मिलेगी।
2005 में यूपी और एमपी के बीच हुआ था अनुबंध
परियोजना में पानी के बंटवारे को लेकर 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की मौजूदगी में दोनों प्रदेशों के बीच अनुबंध हुआ था। मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर और उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने MOU पर हस्ताक्षर किए थे। तब परियोजना का DPR (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार नहीं हुआ था। अब DPR तैयार है। इस कारण पानी की भराव क्षमता में कुछ बदलाव हुआ है। इस कारण से तीनों सरकारों के बीच संशोधित MOA पर हस्ताक्षर किए जा रहे हैं।
2005 में उत्तर प्रदेश को रबी फसल के लिए 547 MCM और खरीफ फसल के लिए 1153 MCM पानी देना तय हो गया था। 2018 में उत्तर प्रदेश की मांग पर रबी फसल के लिए 700 MCM पानी देने पर सहमति बन गई थी। केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश को 788 MCM पानी देना तय कर दिया था, लेकिन UP सरकार ने जुलाई 2019 में 930 MCM पानी मांग लिया था, जिससे मध्यप्रदेश ने इंकार कर दिया था।
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