महाराष्ट्र के तटवर्ती इलाके जैतापुर में देश के सबसे बड़े परमाणु पावर प्लांट के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। एक फ्रांसीसी कंपनी ईडीएफ ने इस प्लांट के लिए महाराष्ट्र सरकार को टेकभनो-कॉमर्शियल प्रस्ताव सौंप दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, टेकभनो-कॉमर्शियल प्रस्ताव समझौता प्रक्रिया का एक अहम पड़ाव है, जिससे दोनों पक्षों को परियोजना की लागत और उससे बनने वाली बिजली का मूल्य निर्धारित करने में मदद मिलेगी।
बता दें कि यह प्रस्ताव विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ओर उनके फ्रांसीसी समकक्ष जीन-येव्स ली डायन के बीच 15 दिसंबर को हुई उस बैठक के लगभग एक हफ्ते के बाद सामने आया है, जिसमें परियोजना के काम में तेजी लाने को लेकर दोनों देशों के बीच सहमति बनी थी।
सूत्रों की मानें तो, ईडीएफ ने यह प्रस्ताव न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को सौंपा है, जो परमाणु ऊर्जा विभाग के तहत सार्वजनिक क्षेत्र में परमाणु पावर प्लांटों की देखरेख का काम करता है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार अब इस टेकभनो-कॉमर्शियल प्रस्ताव का अध्ययन करेगी।
टेकभनो-कॉमर्शियल प्रस्ताव में परियोजना की लागत, फ्रांस की तरफ से दिए जाने वाले ऋण और बनने वाली बिजली का कुल मूल्य दिया गया है।
आपको बता दें कि जैतापुर परमाणु पावर प्लांट के निर्माण के लिए भारत-फ्रांस ने सितंबर, 2008 में समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। सबसे पहले इस परियोजना के लिए फ्रांसीसी कंपनी एरेवा के साथ बातचीत शुरू हुई थी, लेकिन पिछले साल ईडीएफ ने वित्तीय समस्याओं से घिरी इस कंपनी का परमाणु रिएक्टर बिजनेस अधिग्रहित कर लिया था।
सबसे ज्यादा क्षमता
क्षमता के हिसाब से देश में जैतापुर परमाणु पावर प्लांट एक नंबर पर होगा। जैतापुर परमाणु पावर पार्क में 6 परमाणु रिएक्टर बनाए जाएंगे। इस प्लांट के निर्माण के बाद ग्रिड में 1650 मेगावाट बिजली मिलेगी।