कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ भारतीय सेना को लेकर की गई कथित टिप्पणी पर आज, 15 जुलाई को एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनवाई निर्धारित है। राहुल गांधी इससे पहले पांच बार अदालत में हाजिर नहीं हुए हैं और अब उन्हें छठी बार समन भेजा गया है। इस मामले की शिकायत पूर्व सैनिक उदय शंकर श्रीवास्तव ने दर्ज कराई है, जिन्होंने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी की टिप्पणी से सेना की छवि को ठेस पहुंची है।
‘सेना का अपमान, मानसिक आघात’
उदय शंकर ने बताया कि 9 दिसंबर 2022 को अरुणाचल प्रदेश में भारतीय और चीनी सेना के बीच झड़प हुई थी। इसके बाद सेना और रक्षा मंत्री ने संसद में बयान जारी कर स्पष्ट किया था कि भारतीय सैनिकों ने साहसपूर्वक मुकाबला किया और चीनी सैनिकों को पीछे खदेड़ा। लेकिन राहुल गांधी ने 16 दिसंबर को भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दिए एक बयान में कथित तौर पर कहा कि ‘चीनी सेना हमारे जवानों को पीट रही है’, और यह कहते समय वे हंसे भी।
शिकायतकर्ता का कहना है कि यह बयान न सिर्फ सेना बल्कि पूर्व सैनिकों की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला था। उन्होंने कहा कि इस टिप्पणी के बाद समाज में उन्हें तंज झेलने पड़े और कई लोगों ने उनका मजाक उड़ाया।
‘अगर खेद जताते, तो कोर्ट नहीं जाना पड़ता’
उदय शंकर ने पहले यूपी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन वहां से उन्हें अदालत का रुख करने की सलाह दी गई। इसके बाद उन्होंने राहुल गांधी को एक कानूनी नोटिस भेजा, लेकिन उन्हें कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। उनका कहना है कि अगर राहुल गांधी उसी समय खेद प्रकट कर देते या जवाब दे देते, तो मामला अदालत तक नहीं पहुंचता।
कोर्ट में लगातार अनुपस्थित हैं राहुल
अदालत ने इस मामले में 11 फरवरी 2025 को राहुल गांधी को अभियुक्त करार दिया था और 24 मार्च 2025 को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का आदेश दिया था। बावजूद इसके, वे अब तक पांच बार पेश नहीं हुए। शिकायतकर्ता ने कहा कि राहुल गांधी ने तीन बार कोर्ट में आने का वादा किया लेकिन हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर गैरहाजिर हो गए। एक बार उन्होंने यह भी कहा कि वे रायबरेली में डीएम की बैठक में व्यस्त थे।
‘नेताओं को समझना होगा शब्दों का भार’
पूर्व सैनिक उदय शंकर ने कहा कि अगर राहुल गांधी आज कोर्ट में पेश होते हैं तो यह न्याय और लोकतंत्र की भावना के लिए एक सकारात्मक संकेत होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि सार्वजनिक जीवन में बैठे नेताओं को अपने शब्दों के असर को समझना चाहिए, खासकर जब विषय देश की सेना जैसा संवेदनशील हो।