यूपी सरकार के शिक्षा मंत्रालय की एक चिट्ठी से लाखों स्कूली बच्चों की नए क्लास में जाने की खुशी काफूर हो गई है और इसके साथ ही सरकार की शिक्षा के प्रति गंभीरता की पोल खुल गई है… चिट्ठी लिखकर सरकार ने फरमान जारी किया है कि फिलाहल यूपी के सरकारी स्कूलों में बच्चों को नए क्लास में नई किताबें नहीं मिल सकेंगी… अब बच्चों को पुरानी किताबों से नए क्लास में पढ़ाई करनी होगी… इस फरमान की बजह सरकार की लेटलतीफी है… सरकार की लेटलतीफी की वजह से अभी तक नए किताबों की छपाई ही नहीं हो सकी है…ये चिट्ठी बता रही है कि सूबे में सब पढ़, सब बढ़े के सरकारी नारे कितने खोखले है… ये चिट्ठी बता रही है कि सरकार की लेटलतीफी से यूपी में बच्चों की शिक्षा किस कदर गर्त में जा रही है…अप्रैल से नए शैक्षणिक सत्र की शुरूआत हो रही है और सरकार की तैयारी यूपी में बदहाल शिक्षा व्यवस्था की तरह ही बदहाल है… यूपी में शिक्षा की बदहाली किसी से छिपी नहीं हैं… स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का घोर आभाव है… स्कूलों की बिल्डिंग जर्जर है… बच्चों के बैठने के लिए यहां के ज्यादातर स्कूलों में बेंच और डेस्क तक मौजूद नहीं है… बच्चे जमीन पर बैठ कर पढ़ाई करते हैं… स्कूलों में ना तो पीने के लिए शुद्ध पानी है और ना ही शौचालय की व्यवस्था है…वही शिक्षकों की कमी से बच्चों की पढ़ाई भगवान भरोसे है… एक तो पहले से ही यूपी के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे मुश्किल हालातों के बीच पढ़ाई करने को मजबूर है उस पर नए सरकारी फरमान ने उनकी मुश्किलों को बढ़ा दिया है… शिक्षा मंत्रालय ने चिट्ठी लिख कर फरमान जारी किया है कि बच्चों को पुरानी किताबों से ही पढ़ाया जाए… यानि भले ही बच्चे नए क्लास में चले गए हो लेकिन उन्हे फटी-चिटी पुरानी किताबें ही मिलेंगी…इस फरमान से बच्चों में नए क्लास में जाने की खुशी पर सरकार ने ब्रजपात किया है… नए क्लास और नई किताबों का बच्चों में खास क्रेज होता है… जब बच्चों को नई किताबे मिलती है तो बच्चों के चेहरे खिल जाते हैं लेकिन अब यूपी के सरकार स्कूलों में बढ़ने वालों लाखों बच्चों के चेहरे पर मायूसी छा गई है

सरकार की लेटलतीफी का खामियाजा सूबे के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को उठाना पड़ रहा है… सरकारी की ओर से जारी चिट्ठी में कहा गया है कि जब तक नए किताबें छप नहीं जाती तब तक के लिए स्कूल वैकल्पिक व्यवस्था के तहत पास कर ऊंचे क्लास में गए बच्चों से उनकी किताबें लेकर दूसरे बच्चों को दे…ताकि नए सत्र की पढ़ाई शुरू की जा सके…सरकार की ओर से जारी की गई ये चिट्ठी बताती है कि सरकार बच्चों की शिक्षा के प्रति कितनी लापरवाह है… सरकार किस तरह से बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है… इस फरमान के जारी होने के बाद से इसकी आलोचना शुरू हो गई है और विपक्ष सरकार की लेटलतीफी पर सवाल उठा रहा है

यूपी में शिक्षा के गिरते स्तर पर हमेशा से सवाल उठते रहे है… ना तो पहले की सरकारों ने इसके लिए कोई खास काम किया और ना ही योगी सरकार भी इसको लेकर गंभीर नजर आती है… भले ही सरकार शिक्षा व्यावस्था में सुधार के बड़े-बड़े दावें करे लेकिन सरकार की कार्य प्रणाली हर दावों की हवा निकाल देती है…अब चंद दिनों बाद नए सत्र की शुरूआत होनी है और नए किताबों की छापाई का नहीं हो पाना, शिक्षा के प्रति सरकार की गंभीरता पर सवाल उठाती है

एपीएन ब्यूरो

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