प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छता अभियान की किस तरह छज्जियां उड़ रही है ये देखना है तो झारखंड के देवघर ट्रेजरी ऑफिस चले आइए… करीब चार साल पहले देवघर जिला के ट्रेजरी ऑफिस में एक सुलभ शौचालय बना… लाखों रुपये खर्च किये गए लेकिन ये शौचालय अधिकारियों की उदासीनता और लापरवाही की भेंट चढ़ गया… बनने के चार साल बाद भी इसका इस्तेमाल शुरु नहीं हो सका…हौरत की बात है कि जिस नगर निगम ने इसे बनाया है उसके सीईओ तक को इस शौचालय की जानकारी तक नहीं है…
ओडीएफ मिशन पीएम पीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट है लेकिन नगर निगम अफसरों की लापरवाही से ये मिशन किस कदर औंधे मुंह गिर रहा है, देवघर ट्रेजरी में बना शुलभ शौचालय इसका आदर्श उदाहरण बन गया है…चार साल बाद भी ट्रेजरी ऑफिस परिसर में बने शौचालय का इस्तेमाल शुरू नहीं हो सका और अब हाल ये है कि यहां अतिक्रमण कर लोग रहने लगे हैं… देवघर ट्रेजरी कार्यालय में रोजाना पेंशन धारकों का आना-जाना लगा रहता है, ऐसे में बिना शौचालय के बुजुर्गों और यहां काम करने वाले कर्मचारियों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है…लोग परेशान है लेकिन देवघर नगर निगम इस शौचालय को बनाने के चार साल बाद भी ट्रेजरी कार्यालय को सुपुर्द नहीं कर सका है…
इस शौचालय देवघर नगर निगम ने बनाया है लेकिन हैरत की बात है कि नगर निगम के सीइओ तक को इस शौचालय के बारे में जानकारी नहीं है… जब मीडिया ने इस मामले को उठाया तो नगर निगम के सीईओ अब इसकी जांच करा कर जल्दी ही शुरू कराने की बात कर रहे है…
एक ओर जहां देशभर में खुले में शौचमुक्त किए जाने के लिए जोर शोर से कार्यक्रम चलाए जा रहे है… वहीं देवघर में पीएम मोदी की स्वच्छता अभियान की जम कर धज्जियां उड़ रही है… खुले में शौचमुक्त राज्य और जिला घोषित किए जाने की होड़ में गलत आंकड़े भी दिए जा रहे है…सरकार आंकड़ों में देवघर ट्रेजरी का ये शौचालय भी काम कर रहा होगा लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है…
एपीएन ब्यूरो