काकेकस इलाके के दो देशों आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच विवादित क्षेत्र नागोरनो-काराबाख को लेकर युद्ध चल रहा है। इसमें अबतक 80 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घयाल हैं।
युद्ध सोमवार से ही चल रहा है हर दिन लोगों की मौत हो रही है। इस बात को मद्दे नजर रखते हुए फ्रांस, रूस और अमेरिका के राष्ट्रपति ने अजरबेजान और आर्मोनिया को सख्त आदेश दिया है कि युद्ध को फौरन रोका जाए। लेकिन तुर्की ने इस आदेश को नकारते हुए कहा कि, उनकी शांति प्रयासों के लिए आवश्यकता नहीं है। इन देशों की इस युद्ध में कोई भूमिका नहीं है। तुर्की के सीरिया और लीबिया से आतंकी गुटों को हिंसाग्रस्त क्षेत्र में भेजे जाने से हालात और बिगड़ने की आशंका पैदा हो गई है।
30 हजार लोगों की मौत

नागोरनो-कराबाख पर्वतीय क्षेत्र के विवाद पर नजर रखने के लिए 1992 में फ्रांस, रूस और अमेरिका ने मिंस्क ग्रुप बनाया था। 1991 से 1994 तक इलाके में चले युद्ध में 30 हजार लोग मारे गए थे। उस टकराव के बाद पहली बार छिड़े ताजा संघर्ष में सैकड़ों की संख्या में लोग मारे और घायल हुए हैं। जिस नागोरनो-कराबाख इलाके में संघर्ष छिड़ा है, वह अजरबेजान का इलाका है लेकिन उसकी बहुसंख्य आबादी आर्मेनियाई लोगों की है।
टकराव की मुख्य वजह भी यही है। फ्रांस, रूस और अमेरिका के संयुक्त बयान में सभी संबद्ध सेनाओं से तत्काल युद्ध बंद करने के लिए कहा गया है। बयान में दोनों पूर्व सोवियत देशों से कहा गया है कि वे बिना देर किए आपस में अच्छी विचार लेकर बिना शर्त बातचीत शुरू करें और टकराव की वजहों का हल निकालें।
तुर्की ने नकारा

संयुक्त बयान जारी होने से कुछ देर पहले तुर्की की संसद को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन ने तीनों देशों की दखलंदाजी पर विरोध जताया। कहा, अमेरिका, रूस और फ्रांस ने 30 साल तक इस समस्या की अनदेखी की। इसलिए अब अगर वे संघर्षविराम की बात कह रहे हैं तो वह अस्वीकार्य है। अब संघर्षविराम तभी होगा जब आर्मेनियाई कब्जेदार नागोरनो-कराबाख इलाका खाली करके जाएंगे। एर्दोगन के इस बयान से नाटो और संघर्षरत इलाके में तनाव और बढ़ गया है।
राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों
गौरतलब है कि रूस का ईसाई बहुल आर्मेनिया में सैन्य अड्डा है जबकि तुर्की के मुस्लिम बहुल अजरबेजान से अच्छे रिश्ते हैं। वैसे रूस के भी अजरबेजान से अच्छे रिश्ते हैं, इसी के चलते वह दोनों देशों के बीच टकराव नहीं चाहता। बुधवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच टेलीफोन पर वार्ता हुई थी। दोनों ने इलाके में तत्काल संघर्षविराम पर सहमति जताई थी। कुछ घंटों बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इस प्रस्ताव पर सहमत हो गए।
550 सैनिको की मौत
बता दे कि अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि आर्मीनियाई बलों ने सोमवार सुबह टारटार शहर पर गोलाबारी शुरू कर दी। वहीं, आर्मीनिया के अधिकारियों ने कहा कि लड़ाई रातभर जारी रही और अजरबैजान ने सुबह के समय घातक हमले शुरू कर दिए। दोनों ही ओर से टैंक, तोपों, ड्रोन और फाइटर जेट से हमले किए जा हरे हैं। अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने इंटरफैक्स समाचार एजेंसी को सोमवार को बताया कि लड़ाई में आर्मीनिया के 550 से अधिक सैनिक मारे गए हैं।