तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल के बयान पर सुझाव देते हुए कहा है कि मुस्लिम महिलाओं को निकाहनामे के वक्त ही तीन तलाक के लिए इनकार करने का विकल्प क्यों नहीं दे दिया जाता? सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम बोर्ड को इंगित करते हुए पूछा कि “आप ये प्रस्ताव पास क्यों नहीं करते कि निकाह के वक्त ही काजी महिला को ये विकल्प दे कि वह निकाहनामे में तीन तलाक को मना कर सके।” इस पर कपिल सिब्बल ने कहा- “ये अच्छा सुझाव है”।
आज सुप्रीम कोर्ट में सिब्बल के दिए कल के बयानों पर ही बहस हो रही थी। इस बहस में सिर्फ जस्टिस खेहर ने ही सिब्बल को सुझाव नहीं दिया बल्कि अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने भी सिब्बल की बातों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ट्रिपल तलाक़ किसी बहुसंख्यक बनाम अल्पसंख्यक का मामला नहीं है बल्कि इसे लेकर मुस्लिम समुदाय में पहले सी ही टकराव है। इसी पर जस्टिस खेहर ने रोहतगी से पूछा कि “सिब्बल तो कह रहे हैं कि इसे लेकर कोई टकराव नहीं है”?तो रोहतगी ने इसका जवाब देते हुए कहा कि “यह टकराव समुदाय में ही महिलाओं और पुरुषों के बीच है इसकी वजह यह है कि पुरुष कमाने वाले हैं, ज्यादा शिक्षित हैं। इस के बाद कोर्ट के सवाल पर कि “अगर हम तीन तलाक़ को रद्द कर दें तो?”,तो इस पर रोहतगी ने जवाब दिया कि केंद्र तब नया कानून लाएगी ,बस इसी के तुरंत बाद खेहर कहते हैं,”तो केंद्र हमारे फैसले का इंतज़ार क्यों कर रही है ?”
ट्रिपल तलाक़ का मुद्दा दिन पर दिन गहराता जा रहा है| केंद्र कोर्ट के फैसले का इंतज़ार कर रही है तो कोर्ट सतीप्रथा और छुआछूत का उदहारण देकर केंद्र से कह रही है कि जैसे केंद्र ने इन प्रथाओं का विधि द्वारा विधान बना कर अंत किया था,वैसे ही इसका अंत क्यों नहीं कर देती।