गोरखपुर का बीआरडी मेडिकल अब मासूमों की मौत का गढ़ बनता जा रहा है। यहां बीते 48 घंटे में 42 बच्चों की मौत हो गई। इस दौरान कुल 66 मरीज भर्ती किए गए। भर्ती मरीजों में इंसेफेलाइटिस के 19 मरीज हैं। मृतकों में इंसेफेलाइटिस के चार नवजात आइसीयू में भर्ती, 10 नवजात तथा पीडियाट्रिक आइसीयू में अन्य रोगों से पीड़ित 15 बच्चे शामिल हैं।
मेडिकल कॉलेज के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) पीके शुक्ल ने इन मौतों की पुष्टि की। लेकिन उनका कहना है कि जापानी इंसेफेलाइटिस से 27 और 28 अगस्त को केवल सात बच्चों की मौत हुई। बाकी बच्चों की मौत दूसरी बीमारियों से हुई।
वहीं 42 मौत के आंकड़ों पर मेडिकल कॉलेज ने यह स्पष्ट किया कि जान गंवाने वालों का आंकड़ा एकमुश्त पेश करके भ्रम फैलाया जा रहा है। इसमें ऐसे भी मरीज हैं, जिनका इंसेफेलाइटिस से कोई ताल्लुक नहीं है।
कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. पीके सिंह बताते हैं कि बीआरडी अस्पताल में 27 और 28 अगस्त के दौरान 48 घंटे में 42 बच्चों की मौत हो चुकी है। इनमें सात बच्चों की मौत इंसेफेलाइटिस यानी दिमागी बुखार से हुई है। डॉ. पीके सिंह के मुताबिक, इन दिनों अस्पताल में बड़ी संख्या में बीमार बच्चे आ रहे हैं। उनका कहना है कि अस्पताल में इस वक्त ऑक्सीजन और दवाओं की कोई कमी नहीं है। लेकिन कई बच्चों की सेहत अस्पताल आने तक इतनी बिगड़ चुकी होती है कि डॉक्टर पूरी कोशिश के बावजूद उन्हें बचा नहीं पाते हैं।
गौरतलब है कि यही वो अस्पताल है जहां 10 अगस्त को ऑक्सीजन की कमी की वजह से 36 बच्चों की जान गई थी। एक बार फिर अस्पताल की लापरवाही सामने आई है। हालांकि प्रशासन ने इसे इंसेफेलाइटिस का मामला ही बताया है। बरहाल जो भी हो अगस्त में बच्चों की मौत की उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह की बात सच साबित हो रही है जो बेहद दुखद है।