आसमान से आग बरस रही है, क्या इंसान और क्या जानवर सभी के कंठ पानी बिन सूख रहे हैं। लेकिन तब क्या हो जब बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली डबल इंजन की सरकार में बेटियां पानी बिन रहें। ये आरोप नहीं पौड़ी के सबदरखाल क्षेत्र के राजकीय इण्टर कॉलेज की सच्चाई है। छात्रा दीपिका ने बताया कि, पिछले 2 महीने से पेयजल आपूर्ति पूरी तरह ठप पड़ी हुई है। जैसे कि, स्कूल में पढ़ने वाले 300 छात्र-छात्राओं को पीने के पानी की कोई जरुरत ही नहीं है। मिड डे मिल तैयार करने समेत शौचालय जाने तक के लिए स्कूल में पानी नसीब नहीं है।
गर्मियों के दौर में दिनों दिन विकराल रूप ले रही पेयजल की समस्या से पौड़ी के कई स्कूलों के शौचालय में ताले लटक गए हैं। छात्रा प्राची का कहना है कि, पानी की व्यवस्था करने के लिए उन्हें और भोजन माता को 2 किलोमीटर दूर जाकर पेयजल स्रोतो से पानी की व्यवस्था करनी पड़ रही है। वो भी सूखने की कगार पर हैं। ऐसे में पानी की व्यवस्था करने में उनकी पढ़ाई चौपट हो रही है।
इससे मुख्य शिक्षा अधिकारी तक को भी कोई मतलब नहीं दिखता। पौड़ी के मुख्य शिक्षा अधिकारी मदन सिंह को ये बेहतर मालूम है अगर वो चाहते तो 300 छात्र-छात्राओं का गला पानी बिना नहीं सूखता।
पौड़ी में पानी की दिक्कत लम्बे समय से बनी हुई है। इसे दूर करने के लिए देखाल रामकुण्ड पेयजल पम्पिंग योजना की मांग उठ रही है। इसे लेकर ग्रामीण कई बार आक्रोशित हो प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन नौकरशाहों के कानों की चमड़ी इतनी मजबूत हैं कि उन पर कोई असर ही नहीं। मीडिया के पूछने पर डीएम साहब जागे तो पेयजल विभाग को हफ्ते में चार दिन स्कूल में पानी का टैंकर भेजने के निर्देश दिए हैं।
ऐसे में जब जिले के मालिक कहे जाने वाले पौड़ी जिलाधिकारी सुशील कुमार ने पानी की कमी दूर करने का आश्वासन दिया है तो उम्मीद है कि, स्थिति कुछ सुधरेगी। लेकिन, उन्हें समस्या के स्थाई हल के लिए रामकुण्ड पेयजल पम्पिंग योजना की मांग सहित अन्य विकल्पों पर विचार तो करना ही चाहिये।