भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई अब देश की सबसे अमीर शहरों में शामिल हो गई है। दिल्ली का नंबर इसके बाद दूसरा है। यह हमारा आकलन नहीं है बल्कि यह न्यू वर्ल्ड हेल्थ की जारी रिपोर्ट में कहा गया है। इस रिपोर्ट में मुंबई में 46,000 करोड़पति और 28 अरबपतियों के रहने की बात कही गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार मुंबई की कुल संपदा 820 अरब डॉलर है। इसके अलावा भारत उन पांच शीर्ष देशों में शामिल है जहां से बड़ी संख्या में करोड़पति लोग विदेश जाकर बस रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार बीते वर्ष 2016 में भारत से 6,000 करोड़पति विदेश जाकर बस गए। इससे पहले 4,000 करोड़पति 2015 में विदेश में बसे थे। 2015 की तुलना में यह आंकड़ा 50 प्रतिशत अधिक है। विदेश में भारतीयों का सबसे पसंदीदा देश ऑस्ट्रेलिया रहा यहाँ 2016 में क़रीब 11,000 करोड़पति रहने पहुंचे। दूसरा पसंदीदा देश अमेरिका रहा जहाँ 10,000 करोड़पति भारत से रहने गए। तीसरे नंबर पर ब्रिटेन में 3000 लोग भारत से रहने पहुंचे। रिपोर्ट में करोड़पति से आशय 10 लाख डॉलर या अधिक शुद्ध संपत्ति वाले व्यक्तियों से है।
इस रिपोर्ट में दूसरे नंबर पर दिल्ली की बात करें तो यहाँ करोड़पतियों की संख्या 23,000 और अरबपतियों की 18 है। दिल्ली की कुल संपदा 450 अरब डॉलर आंकी गई है। वहीं इस लिस्ट में आईटी शहर बेंगलुरु की कुल संपदा 320 अरब डॉलर है। बेंगलुरु में 7,700 करोड़पति और आठ अरबपति रहते हैं। हैदराबाद 310 अरब डॉलर के साथ चौथे स्थान पर है। हैदराबाद में करोड़पतियों की संख्या 9,000 और अरबपतियों की छः है। कोलकाता में करोड़पतियों की संख्या 9,600 है और वहां 4 अरबपति रहते हैं। कोलकाता की कुल संपदा 290 अरब डॉलर आंकी गई है। इस सूची में शामिल अन्य शहरों में पुणे की कुल संपदा 180 अरब डॉलर है। वहां 4,500 करोड़पति और पांच अरबपति रहते हैं। चेन्नई की संपदा 150 अरब डॉलर है। वहां 6,600 करोड़पति और चार अरबपति रहते हैं। गुड़गांव की कुल संपदा 110 अरब डॉलर है। वहां 4,000 करोड़पति और दो अरबपति निवास करते हैं।
इस सूची में कई अन्य उभरते शहर भी शामिल हैं इनमे सूरत, अहमदाबाद, विशाखापत्तनम, गोवा, चंडीगढ़, जयपुर और वडोदरा शामिल हैं। देश की कुल संपदा 6,200 अरब डॉलर है। रिपोर्ट में बताये गए आंकड़े दिसंबर, 2016 तक के हैं। देश में कुल करोड़पतियों की संख्या 2,64,000 और अरबपतियों की संख्या 95 है। ग़रीबी से जूझते देश भारत के पक्ष में आये यह आंकड़े चौंकाने वाले हैं। इन आंकड़ों पर अगर गौर करें तो बहुत कम लोगों के पास बहुत ज्यादा पैसा होने की पुष्टि होती दिख रही है।