इलाहाबाद हाई कोर्ट (High Court) ने कहा है कि गौरक्षा (Cow Protection) को किसी धर्म विशेष से जोड़कर देखने की जरूरत नहीं है। जावेद नाम के एक शख्स की याचिका को खारिज करते हुए 1 सितंबर को कोर्ट ने कहा कि गाय को अब राष्ट्रीय पशु घोषित कर देना चाहिए। केंद्र सरकार को इस पर विचार करने की जरूरत है। जस्टिस शेखर कुमार यादव ने कहा कि केंद्र सरकार को अब सदन में एक बिल लाना चाहिए. गाय को भी मूल अधिकार मिलने चाहिए।
अब समय आ गया है कि गाय को एक राष्ट्रीय पशु घोषित कर दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि जब तक देश में गायों को सुरक्षित नहीं किया जाएगा तब तक देश की तरक्की अधूरी ही रहेगी। जावेद की रिहाई की याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि गोरक्षा सिर्फ किसी एक धर्म की जिम्मेदारी नहीं है। गाय इस देश की संस्कृति का अभिन्न अंग है और इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी हर किसी की है फिर चाहे आप किसी भी धर्म से ताल्लुक क्यों ना रखते हों।
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कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में स्वामी दयानन्द सरस्वती का उल्लेख किया। स्वामी दयानन्द सरस्वती ने कहा है कि एक गाय अपने जीवनकाल में 410 से 440 मनुष्यों के लिए एक समय का भोजन जुटाती है और उसके मांस से केवल 80 लोग ही अपना पेट भरते हैं। 12 पेज की अपनी टिप्पणी में कोर्ट ने गाय के वैज्ञानिक और धार्मिक, सामाजिक महत्व पर बहुत सी बातें कही। कोर्ट ने कहा कि पंजाब केसरी महाराज रंणजीत सिंह ने अपने शासनकाल में गौहत्या पर मृत्युदण्ड का कानून बनाया था। तमाम तर्क देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त जावेद के खिलाफ प्रथम दृष्टया अपराध साबित होता है। इस कारण जमानत आवेदन निरस्त किया जाता है। जावेद पर गोकसी का आरोप है।