भारत में समानता का अधिकार सिर्फ पन्नों में मिलते हैं, सामाजिक जमीन पर नहीं। सवर्ण आरक्षण खत्म करने की मांग करते हैं लेकिन दलितों को समानता नहीं देना चाहते। जातिवाद की आग में कासगंज न जले इसलिए प्रशासन को दलित लड़के की शादी के लिए सैकड़ों पुलिसकर्मी लगाने पड़े। जी हां, छह महीने तक चली जद्दोजहद के बाद आखिरकार दलित दूल्हे की घोड़े पर चढ़कर शादी के मंडप तक पहुंचने की मुराद पूरी हुई। हाथरस के रहने वाले संजय जाटव रविवार को सैकड़ों की संख्या में बारातियों के साथ और भारी पुलिस सुरक्षा के बीच शीतल से शादी करने पहुंचे। बता दें कि उत्तर प्रदेश के कासगंज में एक दलित की शादी का मामला पिछले कई महीनों से बेहद चर्चा में रहा। सवर्णों की धमकी के चलते उनकी शादी में कई बार अड़चनें आईं।
दरअसल, दलित दूल्हा चाहता था कि वह घोड़े पर बैठकर ही विवाह मंडप तक जाएगा, लेकिन गांव के ठाकुरों को यह मंजूर नहीं था। छह महीने तक चले विवाद और जद्दोजहद के बाद आखिरकार रास्ता निकला और गलत परंपरा को दरकिनार किया गया। खबरों के मुताबिक, संजय जाटव की शादी कासगंज के निजामपुर गांव की शीतल से 20 अप्रैल को ही होनी तय थी, लेकिन आरोप है कि शादी से पहले ही गांव के दबंगों ने घोड़ी पर गांव में दलित की बारात निकालने का विरोध किया और धमकी दीर। संजय का कहना है कि इसके बाद वह प्रशासन के पास गया और प्रशासन ने दोनी पक्षों से बातचीत कर संगीनों के साए में यहां शादी कराई।
संजय जाटव ने कहा, ‘गांव के दबंगों ने कहा था कि घोड़ी पर बारात लेकर दलित नही जाएगा, लेकिन अब मैं बारात लेकर आया। करीब दस-बारह साल पहले मेरे ताऊ के लड़के की शादी इसी गांव में हुई थी, लेकिन दबंगों ने घोड़ी पर बरात नही जाने दी थी।