साल 2019 से ही कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखी है। वैसे इसे तो कोरोना वायरस ही कहा जाता है लेकन कुछ लोग इस वायरस को चीनी वायरस भी कहते हैं क्योंकि, इसकी शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई थी। वुहान कोरोना वायरस का गढ़ माना जाता है। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बात को खारिज कर दिया था। दुनिया के कई नेता कहते हैं कि, कोरोना वायरस चीन की चाल है। चीन ने इस अपने लैब में बनाया है। समय के साथ कई सबूत भी सामने आरहे हैं।
अब ब्रिटेन के विज्ञान संबंधी मामलों पर लिखने वाले जाने-माने लेखक और एडिटर निकोलस वेड ने एक बार फिर चीन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने कहा है कि वुहान के वायरोलॉजी इंस्टिट्यूट में रिसर्च स्कॉलर्स कोरोना वायरस से मानव कोशिकाओं और चूहों को संक्रमित करने के लिए प्रयोग कर रहे थे। संभव है इंसानों में कोरोना यहीं से फैला हो।
निकोलस वेड ने ‘बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स’ में लिखे एक लेख में सार्स-कोविड-2 की उत्पत्ति को लेकर सवाल खड़े किए हैं। वेड का कहना है कि सबूत इस आशंका को पुख्ता करते हैं कि यह वायरस एक प्रयोगशाला में पैदा किया गया, जहां से वह फैला। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि इस बात की पुष्टि के लिए अभी पर्याप्त सबूत नहीं हैं। उन्होंने कहा है- वुहान का वायरोलॉजी इंस्टिट्यूट कोरोना वायरस अनुसंधान का मुख्य केंद्र है। यहां पर रिसर्च स्कॉलर मानव कोशिकाओं पर हमला करने के लिए चमगादड़ संबंधी कोरोना वायरस बना रहे थे।’
10 मई को ब्रिटेन के ‘द सन’ न्यूजपेपर ने ऑस्ट्रेलिया के समाचार पत्र ‘द ऑस्ट्रेलियन’ के हवाले से कहा था कि अमेरिकी विदेश विभाग को हाथ लगे इस ‘बॉम्बशेल’ यानी कि विस्फोटक जानकारी के अनुसार चीनी सेना PLA के कमांडर ये कुटिल पूर्वानुमान लगा रहे थे।
चीनी वैज्ञानिकों ने सार्स कोरोना वायरस की चर्चा ‘जेनेटिक हथियार के नए युग’ के तौर पर की है, कोविड इसका एक उदाहरण है। PLA के दस्तावेजों में इस बात की चर्चा है कि एक जैविक हमले से शत्रु की स्वास्थ्य व्यवस्था को ध्वस्त किया जा सकता है। पीएलए के इस दस्तावेज में अमेरिकी वायुसेना के कर्नल माइकल जे के अध्ययन का भी जिक्र है जिन्होंने भविष्यवाणी की थी कि तृतीय विश्वयुद्ध जैविक हथियारों से लड़ा जाएगा।
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2003 में जिस SARS का चीन पर अटैक हुआ था वो हो सकता है कि एक जैविक हथियार हो जिसे आतंकियों ने तैयार किया हो। इन कथित दस्तावेजों में इस बात का उल्लेख है कि इस वायरस को कृ्त्रिम रूप से बदला जा सकता है और इसे मानवों में बीमारी पैदा करने वाले वायरस में बदला जा सकता है, इसके बाद इसका इस्तेमाल एक ऐसे हथियार के रूप में किया जा सकता है जिसे दुनिया ने पहली बार कभी नहीं देखा है।