2017 के यूपी विधानसभा चुनाव के वक्त सूबे की जर्जर सड़के बड़ा चुनावी मुद्दा बनी थी। सड़कों के गड्ढों को भरने का वादा कर नेताओं ने वोट मांगे थे। चुनाव बाद जब उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ सूबे के मुखिया बने तो उन्होंने 15 जून 2017 तक प्रदेश की सभी सड़कों को गड्ढामुक्त बनाने का आदेश दिया था। बाद में सड़कों को गड्ढा मुक्त बनाने के डेडलाइन को बढ़ाकर सितंबर और फिर नवंबर कर दिया गया। आज योगी सरकार के बने सवा साल हो चुके है तो क्या सूबे की सभी सड़कें गड्ढा मुक्त हो चुकी हैं। इसी की तहकीकात करने के लिए हम उन्नाव जिला पहुंचे।
सबसे पहले हम आपको उस सड़क पर ले जाते हैं जो उन्नाव का वीआईपी इलाका कहलाता है। VVIP इलाका सिविल लाइन रोड में उन्नाव के जिलाधिकारी आवास को पुलिस अधीक्षक के आवास से जोड़ने वाली सड़क के किनारे जिले के तमाम वीआईपी कार्यालय और आवास स्थित है। जिलाधिकारी आवास , अपर पुलिस अधीक्षक आवास , पुलिस अधीक्षक आवास, जज कॉलोनी और समाजवादी कार्यालय भी इसी रास्ते पर पड़ता है। लेकिन यहां की सड़क को देख कर यकीन करना मुश्किल है कि यहां इतने महत्वपूर्ण अधिकारियों का आवास है
वीआईपी सड़क कहे जाने वाले इस रास्ते को पक्की सड़क कहना भी मजाक लगता है क्योंकि सड़क की पूरी गिट्टी निकल चुकी है। पूरी सड़क में जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं। इस सड़क पर गाड़ियां किसी तरह से हिचकोले खाती हुई गुजरती है। हैरत की बात तो ये है इसी रास्ते से हिचकोले खाते हुए सिविल लाइन में रहने वाले जिले के आला अधिकारी भी गुजरते है लेकिन किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। इन अधिकारियों के जिम्मे जिला में व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी है लेकिन इनके घर के बाहर टूटी सड़कों का होना चिराग चले अंधेरे वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है। अभी हाल में ही इस रास्ते से होकर सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ गुजरे थे तो उस वक्त इस सड़क को बनाया गया था लेकिन आनन-फानन में बनाए गए इस सड़क की गुणवत्ता तो देखिए कि सीएम साहब के गुजरने के साथ ही सड़क भी टूट गई। इतनी जल्दी सड़क के टूटने के बावजूद किसी भी अधिकारी और कर्मचारी पर कार्रवाई नहीं हुई
सिविल लाइन की इस सड़क पर समाजवादी पार्टी का दफ्तर भी है। समाजवादी सरकार के वक्त यहां की सड़क चमचमाती रहती थी लेकिन सपा सरकार क्या गई इस सड़क के दुर्दिन आ गए। लोगों का कहना है कि योगी सरकर सड़क निर्माण में भी राजनीति कर रही है
चलिए आपको शहर के एक और महत्वपूर्ण सड़क का हाल दिखाते हैं। उन्नाव शहर के आई बी पी चौराहे से कानपुर लखनऊ राजमार्ग को जोड़ने वाली सडक का निर्माण सीएम योगी के आदेश के मुताबिक 15 जून 2017 से पहले हो गया था। सड़क के सभी गढ्ढे भर दिए गए थे लेकिन ये सड़क भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गई। निर्माण के मात्र 30 दिन बाद ही ये सड़क टूट गई। आज इस सड़क का हाल ये है कि इसे देख कर यकीन करना मुश्किल है कि यहां पर कोई पक्की सड़क भी है
आईबीपी चौराहे से हाईवे को जोड़ने वाली सड़क सीएम योगी के वादे पर आंसू बहा रही है। सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे बने हुए है और सरकार पूरे सूबे को गड्ढामुक्त बनाने का ढोल पीट रही है। इस रास्ते पर प्रसिद्ध शीतला माता मंदिर भी है , जहां रोजाना सैकड़ों लोगों का आना-जाना लगा रहता है। लोग इसी उबड़-खाबड़ रास्ते से होकर मंदिर पहुंचते हैं। सड़क का हाल ये हैं कि यहां से गुजरना किसी जंग लड़ने से कम नहीं।
लगभग 4 किलोमीटर की इस सड़क पर मोहान से बीजेपी के विधायक ब्रजेश रावत का घर भी पड़ता है। विधायक महोदय पक्की सड़क तो नहीं बना पाए लेकिन अपने घर के सामने की सड़क को इंटरलॉकिंग सड़क बना कर उन पर अवैध स्पीड ब्रेकर बनवा दिए। विधायक जी ने अपने घर के सामने एक नहीं बल्कि 3-3 अवैध ब्रेकर बनवा दिए है जिसमे छोटे वाहनों, कारों और स्कूटरों की चेचिस ब्रेकरो में अक्सर टकरा कर टूट जाती है। लगता है विधायक महोदय ब्रेकर के माध्यम से अपने होने का अहसास करा रहे हैं
उन्नाव शहर में सड़कों की बदहली देखने के बाद हम जिले के ग्रामीण इलाकों की ओर बढ़े। लवकुश की जन्मस्थली परियर जानकी कुंड मार्ग आज से दो साल पहले बनना शुरू हुआ था समाजवादी पार्टी सरकार के वक्त इस 20 किलोमीटर लंबी सडक का निर्माण शुरू हुआ था लेकिन आज भी निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है। हाल ये है कि आज भी ये सड़क पूरी तरह से कच्ची सड़क नजर आता हैं
इससे पहले भी APN ने इस खस्ताहाल सड़क का हाल दिखाया था। तब से लेकर अब तक इस सड़क का निर्माण अभी चल ही रहा है लेकिन ये काम कब पूरा होगा किसी को नहीं पता।
चलिए अब आपको ले चलते है उन्नाव जिल के गांवो की ओर। उन्नाव के पुरवा तहसील की पुरवा- सोहरमऊ सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हैं। लोग इसी गड्ढों से बचते-बचाते और कभी दुर्धटनाग्रस्त होते हुए गुजरने को मजबूर हैं। ये सड़क यूपी के विधानसभा अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित के गृह तहसील पुरवा की सड़क है। लेकिन यहां भी सरकार के दावे हिचकोले खा रहे हैं
उन्नाव के ग्रामीण इलाकों में सरकारी दावों की तहकीकात करते हुए हम रुपउ गांव पहुंचे। यहां पहुंचते ही हमें बीच सड़क पर तालाब सा नजारा दिखा। भले ही इस सड़क को देखकर तालाब का अहसास हो रहा हो लेकिन सरकारी दस्तावेजों में इसे सड़क कहा जाता है। इस सड़क में बड़े-बड़े गड्ढे बने हुए हैं और उन गड्ढों में बारिश होने पर पानी भर गए है। इस पूरी सड़क पर करीब-करीब यहीं नजरा है। इसी नर्क जैसी स्थिति में यहां के लोग रहने को मजबूर है। इन पानी भरे गड्ढ़ों से किसी तरह बचते-बचाते लोग गुजरते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले दस सालों से यहां सड़कों की यहीं स्थिति है और साल दर साल हालात खराब ही होते जा रहे है
चलिए अब आपको उन्नाव के हसनगंज- मोहना विधानसभा क्षेत्र के उस सड़क को दिखाते है जो उन्नाव शहर को जोड़ती है। सड़क की गिट्टी निकल गई है और लगता ही नहीं है कि सड़क बनाते वक्त इसमें तारकोल का इस्तेमाल भी किया गया होगा। इसी सड़क से आम की सबसे बड़ी मंडी मलीहाबाद और फरहतपुर के लिए लोगों का आना जाना रहता है लेकिन इस सड़क की जर्जर स्थिति लोगों की परेशानी का सबब बनी हुई है। इस टूटी सड़क की वजह से आम व्यापारी और छोटे किसानों को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है।
दरअसल वादा करना कितना आसान होता है लेकिन उस वादे को निभाना कितना मुश्किल होता है, ये उन्नाव की सड़कों को देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है। सरकार के गड्ढ़ामुक्त सड़क के वादे के बाद उन्नाव के लोगों की जगी आस अब मुरझाने लगी है। उन्नाव में आज भी कई सड़के सरकार के वादों के पूरे होने का इंतजार कर रही है। अब देखना है कि उन्नाव की जनता का इतंजार कब खत्म होता है
—Peeyush ranjan