कश्मीर में 3 साल में सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ है। अनंतनाग में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में 8 सुरक्षाकर्मियों के शहीद होने की खबर से पूरा देश सदमे में है। कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धोनैक और डिप्टी एसपी हिमायूं भट की शहादत को पूरा देश सलाम कर रहा है। वहीं 5 अन्य जवान भी शहीद हुए हैं। कर्नल मनप्रीत सिंह 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर थे तो वहीं आशीष धोनैक मेजर पद पर थे। इसके अलावा हिमायूं भट्ट पुलिस में डिप्टी सुपरिटेंडेंट थे। शहीद जवानों के शव अनंतनाग के कोकेरनाग इलाके के जंगलों से बरामद किए गए। दरअसल आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में विशेष खुफिया सूचना पर कार्रवाई करते हुए सेना और पुलिस ने मंगलवार देर रात एक संयुक्त अभियान चलाया था। जिस दौरान इन जवानों ने सर्वोच्च बलिदान दिया।
जम्मू कश्मीर में आतंक का इतिहास
जम्मू कश्मीर में आतंक की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं। यहां आतंकवाद की बात की जाए तो 1989 में तो यह चरम पर पहुंच चुका था। 1990 के बाद आतंक और भी ज्यादा बढ़ा। न जाने कितनों का खून बहा। स्थिति ये थी कि कश्मीरी पंडितों को पलायन करना पड़ा था। इस बीच शांति बहाल करने की बहुत सी कोशिशें हुईं लेकिन राजनीतिक अस्थिरता, अलगाववाद और पाकिस्तान की ओर से समर्थित आतंकवाद से सूरत ज्यों की त्यों रही।
क्या कहते हैं सरकार के आकंड़े
अब सरकार का कहना है कि उसने लगातार दहशतगर्दों और अलगाववादियों के खिलाफ कठोर मुहिम चलाई है जिसके चलते जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं की संख्या में बहुत कमी आई है। 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 और 35-ए को हटाए जान को सरकार की ओर से आतंक के खिलाफ लड़ाई में मील का पत्थर बताया जाता है। लेकिन क्या वाकई ऐसा है आइए जानते हैं।
गृह मंत्रालय के एक आंकड़े के मुताबिक 2006 से 2013 के बीच आतंकवादी घटनाओं की संख्या 4,766 थी जबकि अनुच्छेद 370 हटने के बाद 2019 से 2022 में आतंकवादी घटनायें 4,766 से घटकर सिर्फ 721 रह गई। साथ ही सुरक्षाबलों की मृत्यु की संख्या में भी कमी आई है। सरकारी दावा यह भी है कि अब जम्मू कश्मीर सुरक्षित हो गया है। बकौल सरकार पहले आए दिन पथराव की खबरें आती थीं लेकिन अब ऐसा नहीं है।
जम्मू बन गया है पाकिस्तान का निशाना
वहीं जम्मू-कश्मीर पुलिस का डेटा कुछ और ही कहानी कहता है। एक आधिकारिक दस्तावेज़ में कहा गया है कि अनुच्छेद 370 को रद्द करने के बाद, जम्मू क्षेत्र में आतंकवादी हमलों में वृद्धि देखी गई है, जबकि कश्मीर घाटी में स्थिति में सुधार हुआ है।
17 सिक्योरिटी इंडिकेटर के आधार पर, दस्तावेज़ में इस साल जून तक का डेटा साझा किया गया है। डेटा में ग्रेनेड हमलों, आईईडी विस्फोटों की संख्या में वृद्धि बताई गई है। आंकड़ों से पता चला है कि इस साल 16 जून तक 17 सिक्योरिटी इंडिकेटर में से आठ में जम्मू क्षेत्र में वृद्धि देखी गई है।
पिछले चार सालों में 8 घटनाओं के साथ ग्रेनेड हमलों में 50% की वृद्धि देखी गई है। इसी तरह, जम्मू क्षेत्र में 7 की तुलना में 13 आईईडी विस्फोट हुए, जिसमें 45% बढ़ोतरी हुई है। पिछले चार वर्षों में आईईडी विस्फोटों में 73% की आश्चर्यजनक वृद्धि के साथ 11 मौतें हुईं। इस क्षेत्र में स्टैंड-ऑफ फायर और हिट एंड रन मामलों की सात घटनाएं भी देखी गईं।
डेटा में यह भी बताया गया है कि पिछले चार वर्षों में 231 आतंकवादियों और उनके सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि अनुच्छेद 370 को रद्द करने से पहले 73 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया था। हालाँकि, हथियार छीनने, पथराव, बंद, नागरिक हत्याओं की घटनाओं में भारी गिरावट देखी गई है।