सुप्रीम कोर्ट ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे. अंगमो द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई को स्थगित करते हुए अब अगली तारीख 15 अक्टूबर तय की है। इस याचिका में वांगचुक की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत की गई गिरफ्तारी को चुनौती दी गई है और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की गई है।
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया की पीठ ने मंगलवार को समयाभाव के कारण सुनवाई को बुधवार तक टाल दिया। इससे पहले, 6 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। हालांकि, अदालत ने उस समय वांगचुक की हिरासत पर कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया था।
जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को रासुका के तहत हिरासत में लिया गया था, दो दिन पहले लद्दाख में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद। ये प्रदर्शन लद्दाख को राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर किए गए थे। इन झड़पों में चार लोगों की मौत हुई थी और करीब 90 लोग घायल हुए थे। प्रशासन ने वांगचुक पर हिंसा भड़काने के आरोप लगाए हैं।
फिलहाल वांगचुक राजस्थान के जोधपुर जेल में बंद हैं। उनकी पत्नी गीतांजलि अंगमो ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर अदालत से अनुरोध किया है कि वांगचुक को तुरंत अदालत के समक्ष पेश किया जाए। याचिका में यह भी मांग की गई है कि उन्हें अपने पति से मिलने की अनुमति दी जाए और निवारक हिरासत आदेश को रद्द किया जाए।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) सरकार को यह अधिकार देता है कि वह किसी भी व्यक्ति को “भारत की सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा पैदा करने” की आशंका में अधिकतम 12 महीने तक हिरासत में रख सके। हालांकि, इस अवधि को पहले भी समाप्त किया जा सकता है।
इस मामले ने एक बार फिर व्यक्तिगत स्वतंत्रता बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा की बहस को केंद्र में ला दिया है, और अब सबकी निगाहें 15 अक्टूबर को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं।