सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र की उत्तराखंड में चार धाम राजमार्ग परियोजना को राष्ट्रीय हरित अधिकरण से मिले आदेश पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने केंद्र और उत्तराखंड को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई की तारीख 15 नवम्बर तय की।
सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के महत्वाकांक्षी ‘चारधाम महामार्ग विकास परियोजना’ को मंजूरी देने के आदेश पर रोक लगाई है। इस परियोजना में उत्तराखंड के चारों पवित्र शहरों का हर मौसम में संपर्क स्थापित रखने का प्रस्ताव था। हर मौसम में सड़क संपर्क बनाए रखने के लिए पहाड़ी राज्य के चारों शहर (यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ) हैं।
सुनवाई के दौरान केंद्र की तरफ से पेश अतिरिक्त सोलीसीटर जनरल पिंकी आनंद ने कहा कि परियोजना को लेकर हरित अधिकरण आदेश पारित कर चुका है। याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन ‘सिटीजन्स फॉर ग्रीन दून’ के वकील संजय पारिख ने कहा कि अधिकरण के एक पीठ ने आदेश पारित किया था, जो उच्चतम न्यायालय के 27 अगस्त के फैसले के मुताबिक नहीं था। इसके बाद पीठ ने अधिकरण के आदेश पर रोक लगा दी और 15 नवम्बर तक केंद्र और राज्य सरकारों से जवाब मांगा।
आपको बता दें कि इस परियोजना के तहत 12 हजार करोड़ से अधिक की लागत के साथ 900 किमी सड़कों का निर्माण किया जाना है। एनजीटी में ग्रीन दून और अन्य लोगों द्वारा इस परियोजना को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ता के अनुसार परियोजना बिना किसी पर्यावरण मंजूरी के शुरू हुई है और उचित वन मंजूरी के बिना 25000 से अधिक पेड़ काटे गए हैं।इसके अलावा इससे पहाड़ों और गंगा की सहायक नदियों को व्यापक नुकसान होगा क्योंकि मलबे की डंपिंग के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
26 सितंबर को एनजीटी ने परियोजना से संबंधित पर्यावरणीय मामलों की देखरेख करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करते हुए प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने की मंजूरी दे दी थी। NGT के फैसले के मुताबिक सात सदस्यीय समिति की अध्यक्षता केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के एक विशेष सचिव करेंगे। याचिकाकर्ताओं ने NGT के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।