प्रधानमंत्री के नोटबंदी के फैसले की तारीफ तो पूरी दुनिया में हो रही है, लेकिन देश में उन्हें इस फैसले की वजह से कभी विपक्ष के ताने सुनने पड़ते है तो कभी कोर्ट के सवालों का जवाब देना पड़ता है। इस बार सवाल सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि क्यों ना लोगों को पुराने नोट बदलने के लिए 31 मार्च तक का समय दे दिया जाए? सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल केंद्र सरकार और आरबीआई दोनों से पूछा है और 10 मार्च तक जवाब देने का आदेश दिया है।
#SupremeCourt sent a notice to the Government asking why people should not deposit #demonetized notes till March end.
— APN NEWS (@apnnewsindia) March 6, 2017
गौरतलब है कि सरकार और आरबीआई के खिलाफ वादाखिलाफी करने का आरोप लगाने वाली जनहित याचिकाएं दायर की गई थी। इन याचिकाओं में कहा गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरबीआई ने शुरू में नोट बदलने की तय सीमा 31 मार्च 2017 तक रखी थी, लेकिन बाद में सरकार ने इसे घटाकर 30 दिसंबर 2016 कर दिया गया। इसके अलावा विदेश में रहने वाले लोगों और अप्रवासी भारतीयों के लिए नोट बदलने की सीमा 31 मार्च 2017 कर दी गई। इसके अलावा जब विदेश में रहने वाले लोग आरबीआई की शाखाओं में नोट बदलने गए तो उन्हें वहां से भगा दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका एक रियल स्टेट कंपनी ने दायर कराई थी। रियल स्टेट ने कहा कि कंपनी के पास पुराने 500 और 1000 के नोटों के करीब 71 लाख रकम नकदी के रूप में मौजूद है जिसे वह नियमों में बदलाव की वजह से बैंक में जमा नहीं करवा पा रहे हैं। इसी वजह से कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया और कोर्ट ने सुनवाई के बाद आरबीआई और केंद्र सरकार को शुक्रवार तक जवाब देने को कहा है।