Sunil Gavaskar Birthday: भारतीय टेस्ट क्रिकेट की रीढ़ रहे ‘लिटिल मास्टर’ के गौरवशाली करियर पर डालें एक नजर

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Sunil Gavaskar Birthday: भारतीय क्रिकेट के दिग्गज बल्लेबाजों में शुमार, सुनील गावस्कर आज अपना 76वां जन्मदिन मना रहे हैं। उनकी विरासत केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि वह उस युग के प्रतीक हैं जब भारतीय क्रिकेट ने डर के साए से निकलकर आत्मविश्वास की जमीन पर पैर रखा था। ऐसे में आइए जानते हैं कैसे वे टेस्ट में बेस्ट बनने की राह पर चले।

तेज गेंदबाजों के दौर में डटकर खड़े रहे गावस्कर

10 जुलाई 1949 को मुंबई में जन्मे सुनील गावस्कर ने क्रिकेट को ऐसे दौर में अपनाया जब पिच पर तेज गेंदबाजों का खौफ और बल्लेबाजों का डर आम बात थी। वेस्टइंडीज के घातक बाउंसर हों, ऑस्ट्रेलिया की कसी हुई लाइन लेंथ या इंग्लैंड के गेंदबाजों की तेज रफ्तार हो — गावस्कर उन चुनौतियों के बीच भारतीय बल्लेबाजी की ढाल बनकर खड़े रहे। 1971 में डेब्यू करते ही उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज में 774 (4 शतक, 3 अर्धशतक) रन बनाकर क्रिकेट जगत को चौंका दिया। उस डेब्यू सीरीज में 154.80 की औसत से बनाए गए उनके रन आज भी एक रिकॉर्ड हैं। इसी सीरीज के दौरान उन्होंने अपना पहला शतक (116) और पहला दोहरा शतक (220) भी जड़ा था।

टेस्ट क्रिकेट में कई ऐतिहासिक उपलब्धियां

गावस्कर टेस्ट क्रिकेट में 10,000 रन का आंकड़ा छूने वाले पहले बल्लेबाज बने। उन्होंने 125 टेस्ट में 10122 रन बनाए, जिसमें 34 शतक और 45 अर्धशतक शामिल हैं। टेस्ट क्रिकेट में सुनील गावस्कर के 34 शतक लंबे समय तक एक विश्व रिकॉर्ड रहा, जिसे 19 साल बाद 2005 में उनके ही हमवतन सचिन तेंदुलकर ने तोड़ा। सबसे खास बात यह रही कि वह टेस्ट क्रिकेट की सभी चार पारियों में दोहरा शतक लगाने वाले इकलौते बल्लेबाज हैं। इतना ही नहीं, रिटायर होने तक उनका टेस्ट ग्राफ लगभग ऊपर ही रहा था। अपने अंतिम टेस्ट में उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 1987 में 96 रनों की यादगार पारी खेली थी। पूरे टेस्ट करियर में उनका औसत 51.12 का रहा। उनके नाम कई ऐसे रिकॉर्ड हैं जो आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा हैं।

इसके अलावा, सुनील गावस्कर फील्डिंग में भी कमाल के खिलाड़ी थे। उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में कुल 108 कैच लपके और विकेटकीपरों को छोड़कर 100 कैच पूरे करने वाले पहले भारतीय क्रिकेटर बने। कप्तानी की बात करें तो उन्होंने भारत के लिए 47 टेस्ट मैचों में कप्तानी की, जिनमें से 9 में जीत, 8 में हार और 30 ड्रॉ रहे।

वनडे करियर और वर्ल्ड कप में भूमिका

सुनील गावस्कर का वनडे करियर भले ही टेस्ट क्रिकेट जितना लंबा और प्रभावशाली न रहा हो, लेकिन इसमें भी उन्होंने अपनी छाप छोड़ी। उन्होंने 108 वनडे मैचों में एक शतक और 27 अर्धशतक की मदद से भारत के लिए महत्वपूर्ण पारियां खेलीं। 1983 के वर्ल्ड कप में वे विजेता भारतीय टीम का हिस्सा थे, हालांकि उस टूर्नामेंट में उनके बल्ले से बहुत अधिक रन नहीं निकले। लेकिन 1987 के वनडे वर्ल्ड कप में उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत की ओर से सबसे ज्यादा 300 रन बनाए, जिसमें एक शानदार शतक भी शामिल था। गावस्कर ने उस विश्व कप में टीम को सेमीफाइनल तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई और वे टूर्नामेंट के टॉप 10 स्कोरर में शामिल रहे। वनडे क्रिकेट में उनका योगदान सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने टीम को आत्मविश्वास और रणनीतिक सोच से भी मजबूत किया।

क्रिकेट के बाद भी खेल से गहरा नाता

क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भी गावस्कर का खेल से जुड़ाव बना रहा। कमेंट्री बॉक्स से लेकर क्रिकेट विश्लेषण तक, उन्होंने अपने क्रिकेट ज्ञान को पीढ़ियों तक पहुंचाया। उनकी राय बेबाक होती है और उनकी नजरें मैच के हर सूक्ष्म पहलू को पकड़ लेती हैं। इसके साथ ही गावस्कर ने अंपायरिंग में भी हाथ आजमाया था। आज भी वे युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा देने और क्रिकेट की बारीकियों को समझाने में सक्रिय रहते हैं।

सुनील गावस्कर न केवल भारतीय क्रिकेट के सबसे मजबूत स्तंभों में से एक रहे हैं, बल्कि उन्होंने भारत को विश्व क्रिकेट में आत्मविश्वास के साथ खड़े होने की राह दिखाई। 76 वर्ष की उम्र में भी उनका क्रिकेट के प्रति जुनून उतना ही प्रखर है, जितना एक नए खिलाड़ी का होता है। ‘लिटिल मास्टर’ को उनके जन्मदिन पर APN न्यूज का सलाम और शुभकामनाएं।

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