लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन संसद के मानसून सत्र में सुचारु कार्यवाही सुनिश्चित करने के वास्ते सर्वदलीय बैठक के पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित विभिन्न दलों के नेताओं के साथ अलग अलग बैठकें करेंगी और उन्हें बताएंगी कि लोकतंत्र की साख बरकरार रखने के लिए सदन का चलना कितना ज़रूरी है।
महाजन ने यहां यूनीवार्ता से विशेष साक्षात्कार में कहा कि वह 17 तारीख को सर्वदलीय बैठक के पहले विभिन्न दलों के एक या दो नेताओं को बुलाकर निजी तौर पर बात करने की कोशिश करेंगी और उन्हें इस बात के लिए राज़ी करने का प्रयास करेंगी कि सांसदों को अपने क्षेत्र के विषयों पर बोलने का अवसर अवश्य मिलना चाहिए। इससे ही उनको अपने मतदाताओं का विश्वास हासिल होता है।
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस की ओर से उसके नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के अलावा गांधी से भी मिलेंगी क्योंकि वह कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव केवल बड़े नेताओं के बलबूते ही नहीं जीते जाते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर बड़े नेता के करिश्मे के साथ निर्वाचन क्षेत्र में उम्मीदवार की साख एवं छवि की बड़ी भूमिका होती है इसीलिये पक्ष में बड़ी लहर होने के बावजूद लोग हार जाते हैं और विपरीत लहर में भी लोग जीतने में कामयाब रहते हैं। इसलिए सदन में सभी सदस्यों को उनकी विधायी जिम्मेदारियों के निर्वहन का मौका मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मानसून एवं शीतकालीन सत्रों में ही काम करने का अवसर है। इसके बाद चुनावी माहौल बन जाएगा। अगर सांसदों, खासकर पहली बार चुने गये सांसदों को उनके निर्वाचन क्षेत्रों की समस्याओं को उठाने का मौका नहीं मिलता है तो क्षेत्र में उनकी साख प्रभावित हो सकती है। एक सवाल के जवाब में श्रीमती महाजन ने कहा कि सांसदों के व्यवहार को लेकर देश-विदेश, हर जगह सवाल उठ रहे हैं।
महाजन ने कहा कि हाल की विदेश यात्राओं में उन्हें इस प्रकार के सवाल सुनने को मिले हैं। प्रवासी भारतीय समुदाय ने भी संसद के अंदर वातावरण को लेकर नाखुशी का इज़हार किया है। उन्होंने कहा कि विदेशों में भारतीय लोकतंत्र को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में देखा जाता है। इसलिए ना केवल अपने देश बल्कि दुनिया भर में लोकतांत्रिक व्यवस्था की विश्वसनीयता एवं आस्था को मज़बूत करना हमारी जिम्मेदारी है।
महाजन ने कहा कि वह विपक्षी दलों के कार्यस्थगन आदि प्रस्तावों पर विचार करने के लिए हमेशा तैयार हैं लेकिन प्रस्ताव की भाषा का भी ध्यान रखना होगा। उन्होंने कहा कि वह सभी दलों को उनके विषय उठाने देने का मौका देना चाहती हैं लेकिन इसके लिए व्यवस्थाओं के अनुरूप मार्ग चुनना होगा। उन्होंने कहा कि पिछले सत्र में विपक्ष ने बैंकों के घोटालों को लेकर चर्चा का नोटिस दिया था और सत्ता पक्ष भी कुछ कहना चाहता था और दोनों ही चर्चा के लिए तैयार थे मगर नोटिस की भाषा को लेकर समस्या थी। किसी भी प्रस्ताव की भाषा को आम सहमति से तय किया जाना चाहिए। सदन में प्ले कार्ड दिखाने और आसन के सम्मुख आ जाने वाले सदस्यों को नियंत्रित करने के बारे में एक सवाल के जवाब में कहा कि इस बारे में पहले से ही सदन के नियम बने हुए हैं और वे नियम सदस्यों ने ही बनाये हैं कि वे प्ले कार्ड नहीं दिखाएंगे और सदन के बीचों बीच आसन के सम्मुख नहीं आएंगे लेकिन व्यवहार में वे उन नियमों का उल्लंघन करते हैं जिस पर उन्हें ही सोचना होगा।
सदन में आने से पहले सांसदों की जांच किये जाने के प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हरेक सांसद 10 से 15 लाख लोगों का जनप्रतिनिधि चुन कर आता है, उसकी जांच हो, ऐसा उचित नहीं होगा पर सांसदों को सोचना चाहिए कि भारत दुनिया का ना केवल सबसे बड़ा बल्कि सबसे जीवंत लोकतंत्र है और लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर में हंगामे से दुनिया भर में सही संदेश नहीं जाता है। श्रीमती महाजन ने कहा कि उन्होंने सभी सांसदों को भी इस बारे में एक पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि 16वीं लोकसभा का आखिरी वर्ष शुरू हो चुका है। समय कम है और काम ज्यादा। ऐसे में वे अधिक से अधिक विधायी कार्य संपन्न कराने में योगदान दें तथा राजनीतिक एवं चुनावी लड़ाई को सदन के बाहर अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में लड़ें।
उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसा देखा गया है कि सोशल मीडिया में संसद, संसदीय परम्पराओं और लोकतंत्र के प्रति अपेक्षित उत्साह एवं सकारात्मकता क्षीण हो रही है। यह प्रवृति हमारे लोकतंत्र के लिए एक चुनौती बन सकती है इसलिए अब अवसर आ गया है कि हम स्वयं आत्मनिरीक्षण करें कि हमारी संसद एवं लोकतंत्र के लिए कौन-सी दिशा अथवा छवि उचित है। लोकसभा अध्यक्ष ने पत्र में लिखा है कि जनता ने हमें इस महान सभा का सदस्य बनने का ‘आशीर्वाद’ दिया इसलिए हम सबका सामूहिक कर्तव्य है कि लोकतंत्र के इस मंदिर की प्रतिष्ठा और शुचिता को सदैव अक्षुण्ण बनाए रखें।