छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए हमले में सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हो गए थे। सीआरपीएफ की जांच में नक्सलियों के इस हमले में तीन गांव के लोगों के शामिल होने की बात सामने आई है। एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक सीआरपीएफ की आंतरिक जांच के दौरान इस बात की जानकारी मिली है।

जांच में शामिल एक सीआरपीएफ अधिकारी ने दावा किया कि बुर्कापाल, चिंतागुफा और कासलपाड़ा गांव के लोग इस हमले में अप्रत्यक्ष तौर से शामिल थे। अधिकारी के मुताबिक, ग्रामीणों ने नक्सलियों को पनाह दी थी। उन्हें नक्सलियों के डर की वजह से ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

जांच रिपोर्ट के मुताबिक मुठभेड़ खत्म होने के बाद कासलपाड़ा गांव के लोगों ने घायल नक्सलियों को चिकित्सा मदद भी पहुंचाई। सीआरपीएफ के सूत्रों का कहना है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में स्थानीय लोगों की इस तरह की भूमिका कोई नई बात नहीं है। हालांकि ग्रामीणों ने इन आरोपों से इनकार किया है।

बुर्कापाल गांव के सरपंच विजय दुला ने कहा, ‘हमले के वक्त गांव में कोई मौजूद नहीं था। सभी लोग फसल कटाई के त्योहार बीजू पोंडम को मनाने के लिए पास के जंगलों में गए थे। हमारे गांव से कोई गोलीबारी नहीं की गई। हम जब लौटे तो हमें गोलियों की आवाज सुनाई दी। हमने खुद को घरों में बंद कर लिया।’ बता दें कि हमले के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस ने चिंतागुफा गांव के पूर्व सरपंच को हमले में शामिल होने के आरोप में हिरासत में लिया था।

नक्सलियों ने दोरनापाल और जगरगुंडा के बीच उस समय हमला किया जब वो निर्माणाधीन सड़क पर गश्त लगा रहे थे। यह 56 किलोमीटर लंबी सड़क पिछले 2 सालों से बन रही है। इसके निर्माण के लिए 18 बार टेंडर निकल चुका है। लेकिन कोई भी ठेकेदार इस काम को करने के लिए तैयार नहीं है। नक्सली पहले भी इस सड़क पर सीआरपीएफ जवानों को निशाना बना चुके हैं। इस इलाके में संचार सुविधाओं की कमी सुरक्षा अभियानों में बड़ा रोड़ा हैं।

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