राम मंदिर निर्माण पर दिए गए यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बयान पर चारों तरफ से उनकी आलोचना हो रही है। एक स्वर में लोग यही कह रहे हैं कि ये एक चुनावी लॉलीपॉप है। सभी लोगों का यही कहना है कि जब मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है तो डिप्टी सीएम इस तरह का बयान क्यों दे रहे हैं। यह कोर्ट की अवमानना है और ऐसा करना अनुचित है। इस मामले में ओवैसी ने कहा है कि जब अयोध्या मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। ऐसे में उनके पास इस मामले में बोलने का कोई अधिकार नहीं है। उनका ये बयान बुरा ही नहीं बेकार भी है। वहीं मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा, ‘चुनाव सिर पर आ गया है। जनता को राम मंदिर न बना पाने की सफाई देनी है इसीलिए उसकी भूमिका तैयार की जा रही है। मामला अदालत में है, इस तरह का बयान देना अदालत का अपमान है। अदालत बड़ी होती है न कि नेता।’
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य और मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने सोमवार को केशव मौर्य के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि राम मंदिर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर बयान देना सही नहीं है। फिरंगी महली ने कहा, “कई चुनाव इसी मुद्दे पर पार्टियों ने लड़े हैं। जानबूझकर ऐसे मुद्दों को हवा दिया जा रहा है। जनता भी यह चाहती है कि एक अच्छे माहौल में न्यायालय के फैसले से हल निकले।”
बता दें कि उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि राज्यसभा में बहुमत होता तो अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए विधेयक पास कराकर राम मंदिर का निर्माण प्रशस्त कर देते। फिलहाल भाजपा के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है, इसलिए यह संभव नहीं है।