कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर भूमि घोटाले मामले में चलेगा मुकदमा, राज्यपाल ने दी मंजूरी

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Karnataka Cabinet: CM Siddaramaiah
CM Siddaramaiah

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) द्वारा साइट आवंटन में कथित अनियमितताओं के लिए मुकदमा चलाया जाएगा। राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने भूमि घोटाला मामले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। राज्यपाल सचिवालय की ओर से एक पत्र में कहा गया है, “राज्यपाल के निर्देशानुसार, मैं मुख्यमंत्री श्री सिद्धारमैया के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत याचिकाओं में उल्लिखित कथित अपराधों के लिए अभियोजन की मंजूरी के अनुरोध पर सक्षम प्राधिकारी के निर्णय की प्रति संलग्न कर रहा हूं।”

मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने पुष्टि की है कि उसे यह पत्र प्राप्त हुआ है। भाजपा ने सिद्धारमैया पर मुकदमा चलाने के लिए राज्यपाल की मंजूरी का स्वागत किया है। सीएम का बचाव करते हुए कर्नाटक कांग्रेस ने आरोप लगाया कि एक ओर राज्यपाल पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी और कर्नाटक के पूर्व मंत्रियों शशिकला जोले और मुरुगेश निरानी के खिलाफ जांच में कार्रवाई में देरी कर रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ राजनीतिक रूप से प्रेरित कार्रवाई कर रहे हैं।

मालूम हो कि राज्यपाल ने पिछले महीने मुख्यमंत्री को “कारण बताओ नोटिस” जारी किया था, जिसमें उन्हें सात दिनों के भीतर उनके खिलाफ आरोपों का जवाब देने और यह बताने का निर्देश दिया गया था कि उन पर मुकदमा क्यों नहीं चलाया जाना चाहिए। इससे राज्य मंत्रिमंडल द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें राज्यपाल से अभियोजन की अनुमति न देने को कहा गया। सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली सरकार ने भी उन्हें नोटिस वापस लेने की सलाह दी थी और राज्यपाल के “संवैधानिक कार्यालय के घोर दुरुपयोग” का आरोप लगाया था।

राज्यपाल का नोटिस भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता टीजे अब्राहम द्वारा MUDA में कथित अनियमितताओं को लेकर सिद्धारमैया पर मुकदमा चलाने की याचिका के बाद आया था। अपनी याचिका में उन्होंने आरोप लगाया था कि करोड़ों के घोटाले से राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ है। जुलाई में लोकायुक्त पुलिस के पास दर्ज की गई शिकायत में अब्राहम ने आरोप लगाया था कि सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को मैसूर के एक पॉश इलाके में 14 जगहों का आवंटन अवैध था, जिससे सरकारी खजाने को ₹45 करोड़ का नुकसान हुआ।

शिकायत में सिद्धारमैया, उनकी पत्नी, बेटे एस यतींद्र और वरिष्ठ MUDA अधिकारियों का नाम शामिल है। एक अन्य कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने भी भूमि घोटाले में सिद्धारमैया, उनकी पत्नी और MUDA और प्रशासनिक अधिकारियों की संलिप्तता का आरोप लगाया।

मामले में नई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई क्योंकि पुलिस ने कहा कि मामले में पहले से ही जांच चल रही है। सिद्धारमैया ने दावा किया था कि जिस जमीन के लिए उनकी पत्नी को मुआवजा मिला है, वह उनके भाई मल्लिकार्जुन ने 1998 में उपहार में दी थी। लेकिन कार्यकर्ता कृष्णा ने आरोप लगाया कि मल्लिकार्जुन ने 2004 में इसे अवैध रूप से खरीदा था और सरकारी और राजस्व अधिकारियों की मदद से जाली दस्तावेजों का उपयोग करके इसे पंजीकृत कराया था। जमीन को 1998 में खरीदा गया दिखाया गया था। पार्वती ने 2014 में इस जमीन के लिए मुआवजे की मांग की थी, जब सिद्धारमैया मुख्यमंत्री थे।

इस मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रही भाजपा ने इस महीने की शुरुआत में कांग्रेस सरकार के खिलाफ़ बेंगलुरु से मैसूर तक एक हफ़्ते की पदयात्रा की थी। भाजपा के हमले का जवाब देते हुए सिद्धारमैया ने कहा था कि जब भाजपा सत्ता में थी, तब उनकी पत्नी को मुआवज़ा दिया गया था और यह उनका अधिकार था। उन्होंने पूछा था, “वे (भाजपा) ही हैं जिन्होंने यह जगह दी, अब अगर वे इसे अवैध कहते हैं, तो कोई कैसे जवाब दे सकता है?”