मदर टेरेसा जो लोगों की निस्वार्थ सेवा के लिए जानीं जाती थी आज उनके नाम के आड़ में कोई इतने घिनौने काम करेगा हम और आप कल्पना भी नहीं कर सकते। एक वक्त पर सेवा के लिए मदर टेरेसा को भारत रत्न, नोबेल पुरस्कार, संत का दर्जा दिया गया, आज उनकी संस्था पर बच्चा बेचने का आरोप लगा है।
दरअसल रांची के जेल रोड स्थित मदर टेरेसा की संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी की एक महिलाकर्मी को पुलिस ने नवजात को बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
मामले में पुलिस ने दो और सिस्टर को भी गिरफ्तार किया है। झारखंड सरकार ने भी मिशनरी पर लगे इन आरोपों के मामले में जांच के आदेश दे दिए थे जिसके बाद बच्चा बेचने के मामले में जांच शुरू हो चुकी है। रांची की चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
पुलिस ने बताया कि सिस्टर कोंसिलिया ने स्वीकारा है कि उसने अब तक छह बच्चों को अवैध तरीके से बेचा है। यह मामला तब खुला जब यूपी के सोनभद्र जिले के ओबरा निवासी सौरभ अग्रवाल और प्रीति अग्रवाल ने चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडबल्यूसी) के पास शिकायत लेकर पहुंचे कि उन्हें उनका बच्चा वापस नहीं दिया जा रहा है। इस बच्चे को उन्होंने पांच मई को 1 लाख 20 हजार में खरीदा था।
FIR में दर्ज जानकारी की मानें तो गुमला की रहनेवाली एक रेप पीड़िता अविवाहित गर्भवती लड़की संस्था में रही थी। उसने बीते एक मई को रांची सदर अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया। इस नवजात को कर्मचारी अनिमा इंदवार ने सिस्टर कोंसिलिया के साथ मिलकर अग्रवाल दंपती को बेच दिया। उस वक्त नवजात चार दिन का ही था। लेकिन जब 30 जून को सीडबल्यूसी के सदस्यों ने संस्था का दौरा करने के बाद अनिमा ने डरकर उसी दिन अग्रवाल दंपति को फोन किया और कहा कि ‘बच्चे को अदालत में पेश करना है, उसे लेकर रांची आ जाएं’।
इसके बाद दो जुलाई को दंपति ने बच्चे को अनिमा को दे दिया। जब अग्रवाल दंपति 3 जुलाई को बच्चे की जानकारी लेने संस्था पहुंचे तब उन्हें बच्चे से मिलने नहीं दिया गया। इसके बाद उसी दिन उन्होंने इसकी शिकायत CWC से की। सूचना मिलते ही चेयरमैन रूपा कुमारी निर्मल हृदय पहुंची। पूरी छानबीन और कड़ाई से पूछताछ के बाद अनिमा ने स्वीकार किया कि उन तीनों ने मिलकर बच्चे को बेच दिया है।