देश में इस समय यात्राओं का दौर चल रहा है, इन यात्राओं के दौर में आज एक नाम और जुड़ गया है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) आज यानी 5 जनवरी 2023 को पश्चिम चंपारण जिले के दरुआबारी गांव से ‘समाधान यात्रा’ (Samadhan Yatra) की शुरूआत की। समाधान यात्रा का पहला चरण 29 जनवरी 2023 तक चलेगा।
नीतीश की यह यात्रा बिहार के 18 जिलों से होकर गुजरेगी, जिसमें वो अपने पिछले 18 सालों के राज में किए गए कार्यों को लेकर फीडबैक लेंगे। नीतीश की इस यात्रा को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में जान फूंकने के तौर पर भी देखा जा रहा है।
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बिहार में चल रही हैं तीन यात्राएं
बिहार (Bihar) में 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक बिसात बिछाई जा रही है। राष्ट्रीय सत्र पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों ‘भारत जोड़ो यात्रा’ कर रहे हैं तो वहीं बिहार में राजनीति में अपने पैर जमाने निकले प्रशांत किशोर ‘जन सुराज यात्रा’ कर रहे हैं तो कांग्रेस प्रदेश में ‘हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा’ निकाल रही है। इनके अलावा, महागठबंधन में वापसी के बाद सूबे के सियासी मिजाज की हवा जानने को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी समाधान यात्रा पर निकले हैं।
2024 से पहले JDU को मजबूती देने की कोशिश
लालू के लगभग 15 साल के राज को हटाकर 2015 में बिहार की सत्ता संभालने वाले नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू 2005 को मुकाबले आज काफी कमजोर हो चुकी है। 2005 के चुनाव में जेडीयू को 20.46 फीसदी वोट के साथ बिहार में 88 सीटें मिली थी, वहीं वर्तमान में बिहार विधानसभा में जेडीयू के सिर्फ 44 विधायक हैं और बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी है। इसके साथ ही वोट प्रतिशत भी 15 फीसदी के आसपास पहुंच चुका है। ऐसे में नीतीश कुमार एक बार फिर से जेडीयू को सेंटर स्टेज पर लाने की कोशिश कर रहे हैं।
Bihar में नीतीश कुमार की यात्राएं
उबड़-खाबड़ रास्तों से पार पाते हुए बिहार में सत्ता के शिखर पर पहुंचे नीतीश कुमार को बिहार की राजनीति में यात्राओं का बादशाह कहा जाता है। इसके पिछे कारण भी है, नीतीश कुमार ने पिछले दो दशक में करीब डेढ़ दर्जन यात्राएं बिहार में की हैं और हर बार उन्होंने राजनीतिक हवा का रुख अपनी ओर मोड़ा है।
नीतीश कुमार ने 2005 से लेकर अभी तक दर्जन भर से ज्यादा यात्राएं कर चूके हैं, जिनमें 2005 में न्याय यात्रा, जनवरी 2009 में विकास यात्रा, जून 2009 में धन्यवाद यात्रा, सितंबर 2009 में प्रवास यात्रा, अप्रैल 2010 में विश्वास यात्रा, नवंबर 2011 में सेवा यात्रा, सितंबर 2012 में अधिकार यात्रा, मार्च 2014 में संकल्प यात्रा, नवंबर 2014 मे संपर्क यात्रा, नवंबर 2016 में निश्चय यात्रा, 2017 में समीक्षा यात्रा, 2019 में जल-जीवन-हरियाली यात्रा, 2021 में समाज सुधार यात्रा के बाद अब 2023 में समाधान यात्रा कर रहें हैं।
नीतीश ने जब से भाजपा का साथ छोड़कर महागठबंधन में वापसी की है, उसके बाद से ही उन्हें शराबबंदी से लेकर तमाम अन्य मुद्दों पर घेरा जा रहा है। भाजपा नीतीश की असफलताओं को सीधे जनता के बीच ले जा रही है जिसमे शराबबंदी के कारण हो रही मौतें सबसे प्रमुख हैं। ऐसे में अपने खिलाफ बन रहे माहौल को तोड़ने के लिए सीएम नीतीश कुमार बिहार की यात्रा पर निकले हैं।
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क्या करेंगे यात्रा के दौरान?
नीतीश कुमार 18 जिलों से गुजरने वाली यात्रा के दौरान सरकारी कामकाज का जायजा लेने के साथ ही विकास योजनाओं को लेकर समीक्षा भी करेंगे। इसके साथ ही वो उनके सबसे बड़े फैसले, शराबबंदी को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाएंगे जिसके लिए किसी प्रकार की सभा का कार्यक्रम नहीं रखा गया बल्कि सीएम सीधे ही जनता के बीच जाकर उनकी परेशानी जानने की कोशिश करेंगे और उसका तुरंत समाधान करने की कोशिश करेंगे। नीतीश कुमार इस दौरान राज्य सरकार की योजनाओं का कितना लाभ लोगों को मिल रहा है, ये जानने की कोशिश करेंगे।
Congress की हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा भले ही बिहार के आसपास से भी नहीं गुजर रही, लेकिन पार्टी ने यहां ‘हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा’ पिछले एक सप्ताह से शुरू कर रखी है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद के नेतृत्व में यात्रा चल रही यात्रा में गुरुवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। खड़गे ने एक सभा को भी संबोधित किया और उन्होंने करीब 7 किलोमीटर पैदल यात्रा भी की।
बिहार में कांग्रेस की हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा 20 जिलों में 1,200 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। इसके साथ ही कांग्रेस बिहार में भले ही महागठबंधन (RJD + JDU + Congress & Left Parties) का हिस्सा है, लेकिन वह अपने खुद के सियासी आधार को मजबूत करने में जुटी हुई है। लंबे समय से कांग्रेस बिहार में छोटे भाई की भूमिका में ही नजर आ रही है, वहीं महागठबंधन के दो बड़े दल आरजेडी और जेडीयू बड़े भाई के तौर पर है।
प्रशांत किशोर की जन सुराज यात्रा
देश के बड़े रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) भी इन दिनों बिहार की सियासत में राजनीतिक राह तलाशने के लिए जन सुराज यात्रा निकाल रहे हैं। गांधी जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर 2022 को शुरू की गई जन सुराज यात्रा को अब लगभग तीन महीने पूरे होने को आये हैं। तीन महीने से पदयात्रा कर रहे प्रशांत किशोर, सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर सबसे ज्यादा निशाना साध रहें हैं। प्रशांत किशोर की जन सुराज यात्रा बिहार के सभी जिलों से गुजरेगी और करीब 3,000 किलोमीटर की लंबी यात्रा तय करेगी। पीके की इस पदयात्रा को पूरा होने में लगभग एक से डेढ़ साल तक का समय लगेगा। जन सुराज यात्रा के जरिए पीके महागठबंधन के खिलाफ सियासी माहौल बनाने में जुटे हुए हैं, क्योंकि उनके निशाने पर सिर्फ बिहार की नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की सरकार ही है।
नीतीश की बिहार–झारखंड की 54 सीटों पर है निगाह?
नीतीश कुमार की निगाह इस समय बिहार की 40 और झारखंड की 14 लोकसभा सीटों पर भी है। नीतीश यहां मजबूत गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि उनको इस बात का भी अहसास है कि बिहार और झारखंड की 54 लोकसभा सीटें देश की सत्ता की चाबी तक पहुंचने के लिए काफी महत्व रखती हैं। इस समय नीतीश ने बिहार में 6 दलों के साथ एक मजबूत गठबंधन बनाया है, वहीं, झारखंड में 4 दलों के साथ गठबंधन कर हेमंत सोरेन सत्ता चला रहे हैं। इन दोनों राज्यों में भाजपा सत्ता से बाहर तो है ही और इन राज्यों में गठबंधन का फॉर्मूला पहले भी हिट रहा है। ऐसे में फिर से एक मजबूत गठबंधन की रणनीति बनाकर नीतीश दिल्ली की राजनीति में फिर से अपनी मौजूदगी दर्ज कराना चाह रहे हैं।