रोहिंग्या शरणार्थियों (Rohingya Refugees) की संख्या भारत में 40,000 हजार से अधिक है, जिसमें से महज 16,500 शरणार्थी United Nations High Commissioner for Refugees (UNHCR) के साथ पंजीकृत हैं। इस बात की जानकारी JURIST वेबसाइट पर 2 जुलाई 2021 में छपी रिपोर्ट में दी गई है। खबर है कि भारत में रह रहे शरणार्थी खाना- पानी के लिए मुस्तार हैं। मुश्किल से उन्हें भारत सरकार खाना दे पा रही है। इस बात को ध्यान में रखते हुए अधिवक्ता Fazal Abdali ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की है।
Supreme Court ने इन राज्यों को किया तलब
Justice Dhananjaya Y. Chandrachud ने याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और कई राज्यों से जवाब मांगा है। चंद्रचूड़ ने केंद्र के साथ Delhi, Haryana, Telangana, J&K, Manipur & Mizoram सरकार को तलब किया है।
Fazal Abdali द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया है कि इन शरणार्थियों को बुनियादी जरूरत का सामान भी नहीं मिल रहा है। दिल्ली, हरियाणा और तेलंगाना में रहने वाले शरणार्थियों की हालत अधिक खराब है।
जाहिर है म्यांमार के बर्मा में साल 2017 में सेना द्वारा क्रूरता के बाद लाखों की संख्या में रोहिंग्या मुस्लिमों को अपना देश छोड़कर अन्य देशों में शरण लेनी पड़ी। एक रिपोर्ट का दावा है कि करीब 7,00,000 रोहिंग्याओं को पड़ोसी देशों में शरण लेनी पड़ी इसमें से 40,000 हजार भारत में हैं।
Supreme Court की आलोचना
सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद सोशल मीडिया पर देश के न्याय सिस्टम की आलोचना भी हो रही है। कुछ यूजर कह रहे हैं कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है जो कि इन्हें खिलाया जाए। अन्य यूजर कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट को केंद्र को पैसे देने चाहिए ताकि सरकार उन्हें बुनियादी सुविधा मुहैया करा सके।
बता दें कि देश मे सबसे अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या पश्चिम बंगाल में है। यहां पर भी उनके हालात काफी खराब हैं।
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