राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए का साथ छोड़ दिया है। उन्होनें ये साथ संसद के शीतकालीन सत्र शुरू होने से ठीक एक दिन पहले छोड़ा है।
उपेंद्र कुशवाहा बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर नाराज चल रहे थे। सोमवार दोपहर को उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। बताया जा रहा है कि कुशवाहा महागठबंधन में शामिल हो सकते हैं।
उनके इस फैसले से बिहार में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। रालोसपा अब विपक्ष से हाथ मिला सकती है जिसमें लालू प्रसाद की राजद और कांग्रेस शामिल हैं। बिहार से लोकसभा में 40 सांसद आते हैं।
उपेंद्र कुशवाहा ने इससे पहले बिहार में एनडीए के खिलाफ चुनाव लड़ेने के भी संकेत दे चुके हैं। बीते दिनों मोतिहारी में उन्होंने कहा था कि लोग हमारे भविष्य की रणनीति को लेकर आस लगाए बैठे हैं।
उनको मैं साफ़ करना चाहता हूं कि सुलह-समझौता करने के उनके सभी प्रयासों को अब तक सफलता नहीं मिली है। इसलिए आने वाले दिनों में उन्होंने रामधारी सिंह दिनकर की एक कविता की पंक्तियां बोली कि ‘अब याचना नहीं रण होगा संघर्ष बड़ा भीषण होगा।’








