केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक के बीच सोमवार को मुंबई में बैंक के निदेशक मंडल की बैठक हुई, जिसमें कई अहम निर्णय लिए गए। रिजर्व बैंक के पास कितना खजाना रहना चाहिए, इस विवादित मसले को सुलझाने के लिए एक ‘विशेषज्ञ समिति’ गठित करने पर सरकार और बैंक के बीच सहमति बन गई है।

इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक ने गवर्नमेंट सिक्योरिटी बॉन्ड खरीद के जरिए 8,000 करोड़ रुपये सिस्टम में लाने का फैसला किया है। सोमवार को बैंक ने इसकी जानकारी दी। बैंक ने कहा कि वह 22 नवंबर को सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद के माध्यम से सिस्टम में 8,000 करोड़ रुपये डालेगा।

खबरों के मुताबिक, आरबीआई नकदी की मौजूदा स्थिति को देखते हुए और भविष्य में टिकाऊ नकदी की जरूरत को ध्यान में रखते हुए मुक्त बाजार परिचालन (ओएमओ) के तहत सरकारी प्रतिभूतियों को खरीदने का फैसला किया है। इसके तहत बैंक 22 नवंबर को सिस्टम में 80 अरब रुपये डालेगा।

ओएमओ गतिविधियों से आईएलएंडएफएस समूह की कंपनियों के दायित्व भुगतान में असफल रहने के चलते उत्पन्न नकदी संकट को कम करने में मदद मिलेगी। यानी देश में एनबीएफसी (नॉन बैंकिंग फाइनेंनशियल कंपनियों) के नकदी संकट को दूर किया जा सकेगा और देश में कारोबारी तेजी के लिए नया कर्ज देने का काम शुरू किया जा सकेगा।

इससे अलग, शीर्ष बैंक के बोर्ड ने केन्द्रीय बैंक को सलाह दी है कि वह मध्यम और छोटे सेक्टर इंडस्ट्री को राहत पहुंचाने के लिए फॉर्मूला तैयार करे। इसके तहत एमएसएमई सेक्टर को रिजर्व बैंक 25 करोड़ तक के कर्ज के लिए एक नई स्कीम भी लाने पर काम करेगा।

इसी के साथ ही आरबीआई बोर्ड ने केन्द्रीय बैंक को सलाह दी है कि वह एक ऐसा फॉर्मूला तैयार करे जिससे कि मीडियम एंड स्मॉल सेक्टर इंडस्ट्री को राहत पहुंचाई जा सके। वहीं बैंक इसके तहत एमएसएमई सेक्टर को रिजर्व बैंक 25 करोड़ तक के कर्ज देने के लिए नई स्कीम लाने पर भी तेजी से काम करना शुरू करेगा।

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