
Republic Day 2023: 74वें गणतंत्र दिवस को मनाने के लिए पूरा देश तैयार है। गुरुवार सुबह तय समय पर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू सबसे पहले तिरंगा फहराएंगी और उसके बाद कर्तव्य पथ पर परेड व विभिन्न राज्यों व विभागों की झांकियों का दौर शुरू हो जाएगा। इस बार मिस्र (इजिप्ट) के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। वे मंगलवार को ही भारत के तीन दिवसीय दौरे पर दिल्ली पहुंच गए हैं। राष्ट्रपति सिसी के साथ पांच मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों सहित एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी आया है। गणतंत्र दिवस परेड समारोह में मिस्र की सेना का एक सैन्य दल भी भाग लेगा।
आपको बता दें कि भारत और मिस्र इस वर्ष राजनयिक संबंधों की स्थापना के 75 वर्ष मना रहे हैं। वहीं, 2022-23 में भारत की जी-20 की अध्यक्षता के दौरान मिस्र को भी ‘अतिथि देश’ के रूप में आमंत्रित किया गया है। अब हम आपको इस लेख के माध्यम से गणतंत्र दिवस से जुड़ी कुछ खास और ऐतिहासिक जानकारियां देने जा रहे हैं।

Republic Day 2023: इरविन स्टेडियम में राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने फहराया था तिरंगा
इसी दिन सन् 1950 को भारत सरकार अधिनियम (एक्ट) (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था। एक स्वतंत्र गणराज्य बनने और देश में कानून का शासन स्थापित करने के लिए संविधान को 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे एक लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया। भारत का संविधान सबसे बड़ा लिखित संविधान है, जिसे अपने अस्तित्व में आने में कुल 2 साल 11 महिने और 18 दिन लगे थे।

इस दिन से संविधान की प्रमुख धाराओं के अनुसार, भारत को एक सर्वसत्ता-सम्पन्न गणराज्य और गणतंत्र राष्ट्र घोषित किया गया। इसी गणतंत्री संविधान के अनुसार यह भी इसी दिन घोषित किया गया कि देश की सर्वोच्च सत्ता जिस व्यक्ति के अधीन रहेगी, उसे राष्ट्रपति कहा जाएगा। हमारा संविधान देश के नागरिकों को लोकतांत्रिक तरीके से अपनी सरकार चुनने का अधिकार देता है। संविधान लागू होने के बाद डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने वर्तमान संसद भवन के दरबार हॉल में राष्ट्रपति की शपथ ली थी और इसके बाद पांच मील लंबे परेड समारोह के बाद इरविन स्टेडियम (मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम ) में उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज फहराया था।

आइए जानते हैं गणतंत्र दिवस के बारे में कुछ खास और रोचक बातें…
- भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 को 21 तोपों की सलामी के साथ भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को फहराकर भारतीय गणतंत्र के ऐतिहासिक दिन की शुरुआत की थी। ब्रिटिश हुकूमत के चंगुल से 15 अगस्त 1947 को छुटकारा पाने के बाद हमारा देश 26 जनवरी 1950 को गणतांत्रिक राष्ट्र बना। तब से आज तक हर वर्ष समूचे राष्ट्र में गणतंत्र दिवस बड़े गर्व और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
- गणतंत्र दिवस की भव्य परेड देखने के लिए 26 जनवरी के अवसर पर कर्तव्य पथ (तब राजपथ) से लेकर लाल किले तक के परेड मार्ग पर प्रत्येक वर्ष लाखों लोगों की भीड़ जुटती है। इसमें राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के साथ विदेशी अतिथि से लेकर आम और खास सभी लोग शामिल होते हैं।
- गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रत्येक वर्ष हमारे देश में विश्व के किसी देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या फिर शासक को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करने की परंपरा है। हमारे देश के प्रथम गणतंत्र दिवस के अवसर पर वर्ष 1950 में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णों मुख्य अतिथि के रूप में आये थे। इस बार यानी 26 जनवरी 2023 को इजिप्ट के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी मुख्य अतिथि बने हैं।
- वर्ष 1955 से दिल्ली के राजपथ(अब कर्तव्य पथ) पर गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत की गई। इससे पहले यानी वर्ष 1950 से 1954 तक गणतंत्र दिवस परेड के लिए कोई जगह सुनिश्चित नहीं की गई थी। वर्ष 1950 से 1954 तक गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन क्रमशः इरविन स्टेडियम (नेशनल स्टेडियम), किंग्सवे, लाल किला और रामलीला मैदान में हुआ था। 26 जनवरी 1955 में राजपथ (अब कर्तव्य पथ) पर आयोजित पहले गणतंत्र दिवस समारोह में पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद मुख्य अतिथि बने थे।
- गणतंत्र दिवस समारोह की शुरुआत राष्ट्रपति के आगमन के साथ होती है। राष्ट्रपति अपनी विशेष कार से, विशेष घुड़सवार अंगरक्षकों के साथ आते हैं। ये घुड़सवार अंगरक्षक राष्ट्रपति के काफिले में उनकी कार के चारों तरफ चलते हैं। राष्ट्रपति द्वारा ध्वाजारोहण के वक्त उनके ये विशेष घुड़सवार अंगरक्षक समेत वहां मौजूद सभी लोग सावधान की मुद्रा में खड़े होकर तिरंगे को सलामी देते हैं और इसी के साथ राष्ट्रगान की शुरुआत होती है।
- राष्ट्रगान के दौरान 21 तोपों की सलामी दी जाती है। 21 तोपों की ये सलामी राष्ट्रगान की शुरुआत से शुरू होती है और 52 सेकेंड के राष्ट्रगान के खत्म होने के साथ पूरी हो जाती है। 21 तोपों की सलामी वास्तव में भारतीय सेना की 7 तोपों द्वारा दी जाती है, जिन्हें पौन्डर्स कहा जाता है। प्रत्येक तोप से तीन राउंड फायरिंग होती है। 1941 में बने इन तोपों को सेना के सभी औपचारिक कार्यक्रमों में शामिल करने की परंपरा है।
- गणतंत्र दिवस आयोजन की जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय की होती है। आयोजन में लगभग 70 अन्य विभाग व संगठन रक्षा मंत्रालय की मदद करते हैं। परेड को सुचारू रूप से संचालन के लिए सेना के हजारों जवान समेत अलग-अलग विभागों के अधिकारी लगाए जाते हैं। भारत सरकार ने वर्ष 2001 में गणतंत्र दिवस समारोह पर करीब 145 करोड़ रुपये खर्च किए थे। वर्ष 2014 में ये खर्च बढ़कर 320 करोड़ रुपये पहुंच गया था।
- इस दिन हमारे देश के तीनों सेना– थल सेना, जल सेना, वायु सेना, परेड में हिस्सा लेते हैं और राष्ट्रपति इन सभी की सलामी लेते हैं। इसके साथ देश के कई विद्यालयों से चुनिंदा बच्चें भी हिस्सा लेते है, इसके लिए वे काफी समय पहले ही तैयारी करना शुरू कर देते हैं। भारत के अलग-अलग राज्यों की संस्कृति और विशेषता को परेड में झाँकियों के रूप में दिखाया जाता है। इस दिन पूरे देश में राष्ट्रीय अवकाश रहता है।
- वर्ष 1957 में भारत सरकार के भारतीय बाल कल्याण परिषद (आईसीसीडब्ल्यू) ने बहादुर बच्चों के लिए राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार की शुरुआत की, जो कि आईसीसीडब्ल्यू हर वर्ष 6-18 साल से कम उम्र के बच्चों को चुनकर अलग-अलग क्षेत्रों में उन्हें बहादुरी के लिए गणतंत्र दिवस पर वीरता पुरस्कार देता है।
- 29 जनवरी को विजय चौक पर बीटिंग रीट्रीट समारोह के साथ गणतंत्र दिवस के जश्न का समापन किया जाता है। वर्ष 1950 से शुरू इस समारोह में भारतीय सेना अपनी ताकत और संस्कृति का प्रदर्शन करती है। इस समारोह में हमारे देश के राष्ट्रपति मुख्य अतिथि होते है। समारोह में हमारे देश के तीनों सेनाओं के बैंड महात्मा गांधी की पसंदीदा धुनों में से एक एबाइडिड विद मी के अलावा सारे जहां से अच्छा… की भी धुन बजाते हैं एवं शाम को बगलर्स रिट्रीट की धुन के साथ राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को उतार लिया जाता हैं और राष्ट्रगान गाया जाता है। इस प्रकार गणतंत्र दिवस के समारोह का औपचारिक रूप से समापन होता है।
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