दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग कंपनी फेसबुक में चेयरमैन और सीईओ मार्क जुकरबर्ग के खिलाफ विरोध के सुर उठने लगे हैं। कंपनी के कुछ बड़े निवेशकों ने जुकरबर्ग पर चेयरमैन पद छोड़ने का दबाव बढ़ा दिया है। एक जांच में कहा गया है कि फेसबुक ने रिपब्लिक पार्टी के एक नेता के नियंत्रण वाली राजनीतिक सलाहकार और जनसंपर्क (पीआर) कंपनी की सेवा ली। इस कंपनी का मकसद फेसबुक की स्पर्धियों को नीचा दिखाना और उन पर कीचड़ उछालना था।
फेसबुक में 85 लाख पौंड की हिस्सेदारी रखने वाले ट्रिलियम एसेट मैनेजमेंट के सीनियर वाइस प्रेजिडेंट जोनास करॉन ने पिछली रात जकरबर्ग से फेसबुक के चेयरमैन पद से इस्तीफा देने की मांग की। अखबार ने उनके हवाले से लिखा है, ‘फेसबुक अजीब तरह का व्यवहार कर रही है। यह सही नहीं है, यह एक कंपनी है और कंपनियों को चेयरमैन और मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पदों को अलग रखने जरूरत होती है।’ आरोप है कि डिफाइनर ने फेसबुक की आलोचना करने वालों को यहूदी विरोधी के तौर पर पेश करने की कोशिश की, साथ ही इसने फेसबुक के प्रतिद्वंद्वियों की आलोचना के लिए कई आर्टिकल भी लिखे।
फेसबुक ने कहा कि वह एक समय इस कंपनी की सेवा ले रही थी। लेकिन इसका उपयोग ‘फ्रीडम फ्रॉम फेसबुक’ अभियान की फंडिंग के लिए किया गया था। फेसबुक की मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) शेरिल सैंडबर्ग ने भी सोशल नेटवर्किंग साइट के साथ डिफाइनर्स पब्लिक अफेयर्स नामक किसी कंपनी के जुड़े होने की खबरों का खंडन किया। रिपोर्ट के मुताबिक फेसबुक में एक अन्य निवेशक और अर्जुना कैपिटल की नताशा लैंब ने कहा कि चेयरमैन और सीईओ का पद एक ही व्यक्ति के हाथों में होने का सीधा मतलब यह है कि फेसबुक किसी भी अंदरुनी समस्या को आसानी से नजरंदाज कर सकती है।
बता दें कि जकरबर्ग ने एक पत्रकार से बातचीत में कंपनी द्वारा पीआर फर्म की नियुक्ति के बारे में जानकारी होने से इनकार किया है। जकरबर्ग ने कहा, ‘मुझे जैसे ही इसके बारे में जानकारी मिली, मैं अपनी टीम से बात की और अब हम उनके साथ काम नहीं कर रहे हैं।’









