केंद्र सरकार ने अब रेल किराया बढ़ाने और घटाने का ज़िम्मा रेल डेवलपमेंट अथॉरिटी (आरडीए) को सौंप दिया है यानि अब यह काम रेल मंत्री नहीं बल्कि आरडीए करेगी। इसके लिए मोदी कैबिनेट ने आरडीए को बुधवार को मंजूरी दे दी है।
आरडीए के गठन होने के बाद ऐसी उम्मीद लगाई जा रही है कि अब रेलवे में सेवाओं की स्थिति बेहतर होगी और साथ ही इससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी। आरडीए एक स्वतंत्र नियामक होगी और इसका काम रेल किरायों को तय करना होगा और इसके साथ ही यह रेलवे और ग्राहकों के बीच कीमत और विवाद संबंधी मसलों को भी सुलझाने का काम करेगा। आरडीए उपभोक्ता के हितों की भी रक्षा करेगाऔर साथ ही साथ तमाम रेल सुधारों को लागू करने का निर्णय भी करेगा। आने वाले दिनों में सरकार अलग-अलग रेलवे लाइनों को निजी क्षेत्र को देने की भी सोच रही है। ऐसे में इन रेलवे लाइनों पर निजी क्षेत्र की गाड़ी को चलने देने के लिए कितना किराया वसूला जाए, इसका निर्धारण भी आरडीए के हाथ में होगा। भारतीय रेलवे को विश्व स्तरीय बनाने के लिए ग्लोबल बेस्ट प्रैक्टिसेज और बेंच मार्किंग को निर्धारित करने के काम भी इस अथॉरिटी के पास होगा
आरडीए में कितने सदस्य होंगे?-
कैबिनेट में पास किए गए प्रपोजल के मुताबिक आरडीए का एक चेयरमैन होगा और तीन अलग अलग क्षेत्रों के विशषेज्ञ सदस्य होंगे। जिनका कार्यकाल पांच साल तक का रहेगा। चैयरमेन की नियुक्ति निजी क्षेत्र से भी की जा सकती है, जिसका फैसला कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली समिति करेगी। आरडीए का गठन 50 करोड़ की लागत से होगा।
आपको बता दें कि 2015-16 के रेल बजट में रेल मंत्री ने रेलवे के लिए एक ऐसे नियामक संस्था की जरुरत जाहिर की थी जो उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने के साथ रेलवे के इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर तरीके से विकसित कर सकें।