Pushkar Singh Dhami: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने गुरुवार को मीडिया से कहा कि हम राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करेंगे। आज एकमत होकर कैबिनेट ने फैसला लिया कि मामले पर एक कमेटी बनाई जाएगी और जल्द ही समान नागरिक संहिता को उत्तराखंड में लागू किया जाएगा। राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य होगा।
मालूम हो कि मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ही पुष्कर सिंह धामी ने कह दिया था कि वह सरकार बनने पर सबसे पहले समान नागरिक संंहिता के लिए कमेटी बनाएंगे। जिसमें कानून के विशेषज्ञ, बुद्धिजीवी वर्ग और दूसरे लोग सदस्य होंगे। चुनावी प्रचार के दौरान भी पुष्कर सिंह धामी ने इस बात को कई बार दोहराया था कि उनकी सरकार राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करेगी। उन्होंने कहा था कि उत्तराखंड में देश की सांस्कृतिक आत्मा बसती है और राज्य में समान नागरिक संहिता होनी चाहिए।
Pushkar Singh Dhami ने बुधवार को ली थी शपथ
बता दें कि भाजपा नेता Pushkar Singh Dhami ने बुधवार को लगातार दूसरी बार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और भाजपा शासित राज्यों के अन्य मुख्यमंत्रियों की उपस्थिति में शपथ ली। धामी उत्तराखंड के 12वें मुख्यमंत्री हैं।
चूंकि धामी खटीमा सीट हार गए थे, अब उनके पास विधानसभा के लिए चुने जाने के लिए छह महीने का समय है। निर्दलीय समेत कई भाजपा विधायक पहले ही इस्तीफा देने की पेशकश कर चुके हैं ताकि वह खाली सीट से उपचुनाव लड़ सकें।
धामी को पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के स्थान पर पिछले साल जुलाई में भाजपा सरकार के अंतिम कार्यकाल के अंत में मुख्यमंत्री बनाया गया था। भाजपा ने राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री के लिए पूरे पांच साल के कार्यकाल की मांग करते हुए 14 फरवरी को विधानसभा चुनाव लड़ा था। 46 वर्षीय धामी को राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा की बड़ी जीत का श्रेय दिया गया, जिसमें पार्टी ने कुल 70 विधानसभा सीटों में से 47 पर जीत हासिल की।
समान नागरिक संहिता क्या है?
समान नागरिक संहिता का मतलब है कि निजी मामलों मसलन शादी, तलाक, उत्तराधिकार और गोद लेने जैसे मामलों में सभी के लिए एक जैसा कानून होगा, भले धर्म या मत की भिन्नता हो। बता दें कि फिलहाल देश में अलग-अलग धर्म के लोगों के लिए निजी मामलों के अलग-अलग कानून हैंं। उदाहरण के लिए हिंदुओं के लिए हिंदू मैरिज एक्ट, ईसाइयों के लिए इंडियन क्रिश्चन मैरिज एक्ट और मुस्लिमों के लिए इस्लाम से संबंंधित कानून।
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